
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 41 जिंदगियां 12 नवंबर से फंसी हुई हैं. उन्होंने निकालने की जद्दोजहद जारी है. हर रोज अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. वहीं, सुरंग के अंदर मलबे में फंसे बरमा मशीन के कुछ हिस्सों को काटने और निकालने के लिए आज हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर भेजा गया है. अधिकारियों के लिए फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना जरूरी है. इसमें रेस्क्यू का रूट बनाने के लिए पाइपों को मैन्युअल रूप से धकेलना भी शामिल है. वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एक ड्रिल मशीन का एक हिस्सा भी सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर भेजा गया है. भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स का एक इंजीनियर ग्रुप, समूह, मद्रास सैपर्स की एक यूनिट भी रेस्क्यू के लिए साइट पर पहुंची.
एक्सपर्ट्स ने बताया कि हम हॉरिजेंडल और वर्टिकल ड्रिलिंग एक साथ करने पर विचार कर रहे हैं. हम इस बात की निगरानी करेंगे कि क्या वर्टिकल ड्रिलिंग के कारण अधिक मलबा गिर रहा है. उसी आधार पर फैसला लिया जाएगा. सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए दवाइयां और पट्टियां भेज दी गई हैं.
सिलक्यारा में तीन दिन बारिश के आसार
उधर, उत्तरकाशी में मौसम में बदलाव के कारण रेस्क्यू टीम को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि IMD ने अगले 3 दिन तक बारिश की संभावना जताई है. आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार 26 से 28 नवंबर के बीच बादल छाए रहेंगे और बारिश की भी संभावना है.
ऑगर मशीन का 15 मीटर पार्ट सुरंग से निकाला
राज्य के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि ऑगर मशीन हिस्सा सुरंग में टूटकर मलबे में फंस गया था. जिसका 15 मीटर पार्ट निकल पाया है. अब 13.09 मीटर हिस्सा बचा है, जिसे निकाला जाना है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ऑगर मशीन के इस हिस्से को कल सुबह तक निकाला जा सकेगा. इसके बाद मैनुअल तरीके से मलबा निकाला जाएगा. फिर पाइप को आगे की ओर धकेला जाएगा.
15 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग कंप्लीट
वहीं, NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि कल से दो-तीन ऑप्शन पर काम करेंगे. SJVNL भी ड्रिलिंग कर रही है. 15 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग हो चुकी है. कुल 86 मीटर ड्रिलिंग होना है. 100 घंटे में ड्रिलिंग करने का टारगेट है. साथ ही परपेंडिकुलर और हॉरिजेंटल ड्रिलिंग पर भी विचार किया जा रहा है. ये ड्रिलिंग 180 मीटर तक की जानी है, जो कि रोजाना 12 मीटर के हिसाब से हो सकेगी. पहाड़ की चोटी पर 2 जगह पर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम हो रहा है. दोनों जगहों पर 14 मीटर की दूरी पर ड्रिलिंग शुरू की गई है. रेस्क्यू के लिए भी अब चौड़ी मशीन से वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है. ऑल्टरनेट के तौर पर ऑगर के ब्लेड्स को काटा गया, इसलिए इतना समय लग रहा है. अब उसका समाधान निकाला गया है. एक लेजर कटर और प्लाज्मा कटर से अब उसे काटा जा रहा है.
पाइप का साइज छोटा करने पर भी विचार
महमूद अहमद ने बताया कि कटिंग में कल सुबह तक का समय लग सकता है उसके बाद आगे की तैयारी होगी. हाथ से मलबा निकालना भी मुश्किल होगा. पाइप के अंदर घुसकर लोग जाकर देखेंगे कि आगे किस तरह का मलबा है और फिर उसे काटकर पाइप को अंदर ले जाने का रास्ता क्लियर करेंगे. फिर मशीन पाइप को अंदर की तरफ दबाएगी. अगर 800 मिलीमीटर की पाइप को अंदर नहीं दबा पाए तो उसकी जगह पतली 700 मिलीमीटर चौड़ी पाइप अंदर दबाई जाएगी, जिसके लिए देसी और विदेशी एक्सपर्ट यहां मौजूद हैं. मामूली बाधाएं आ रही हैं लेकिन हमारे पास सारी सुविधाएं हैं. हमने बैकअप प्लान भी शुरू किया है.
86 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग होगी
SVNL को 1.2 व्यास की ड्रिलिंग करने को कहा गया है. 15 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी हो गई है. 86 मीटर ड्रिलिंग की जानी बाकी है. अगले 2 दिन में ड्रिलिंग का काम पूरा हो जाएगा. एक मशीन 45 मीटर तक ड्रिल कर सकती है, इसलिए यहां दूसरी मशीन भी रखी गई है. 4 दिन यानी 100 घंटे के बाद SVNL 86 मीटर ड्रिल करेगी.
काम पूरा होने में लगेंगे 15 दिन
RVNL भी 180 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग करेगा. मशीनें आ गई हैं. यहां फिलहाल कंक्रीट प्लेटफॉर्म अभी तक नहीं बन पाया है. BRO ने RVNL के लिए खुदाई के लिए और जगह बना ली है. यह ड्रिल 28 नवंबर से शुरू होगी. यह प्रतिदिन 12 मीटर ड्रिल करेगा और मिशन को पूरा करने में 15 दिन लगेंगे. फिर यह बाधाओं पर निर्भर करता है. वहीं, इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि अब तक की प्रगति शानदार है. प्लाज्मा कटर ने मलबे में फंसे बरमा के हिस्सों को काटने की गति बढ़ा दी है. बरमा को उस रास्ते से पूरी तरह बाहर निकालने का काम चल रहा है जहां वह फंसा हुआ है.