सवाल उठ रहे हैं कि क्या अखिलेश और मायावती की ये जुगलबंदी बस यहीं तक थी या फिर 2019 तक बरकरार रहेगी...बंद कमरे में दोनों नेताओं के बीच ऐसी क्या बातचीत हुई जिससे बीजेपी के कान खड़े हो गए हैं ?