ना रंगों की छटाओं में, ना सियासी फिजाओं में, ना मूर्ति में, ना मरम्मत में, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर अगर हमारे बीच हैं तो सिर्फ हमारे विचारों में. बाबा साहब ने स्वतंत्रता की जो परिभाषा गढ़ी उसी का विस्तार रूप हमारा आज का संविधान है. उसी संविधान की ताकत से आज लाइन में खड़ा अंतिम व्यक्ति भी देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकता है. देखें वीडियो...