अगर मैं आपसे कहूं कि दुनिया में एक करेंसी ऐसी भी है जिसके एक सिक्के की कीमत 1,00,000 रूपए से भी ज़्यादा है. तो आपका रिएक्शन मैं समझ सकता हूं.
ये करेंसी है बिट कॉइन. इसे 2009 में लॉंच किया गया था. इसको बनाने वाले का नाम है सातोशी नाकामोटो. लेकिन ये इंसान कौन है ये कोई नहीं जानता. ये एक डिजिटल करेंसी है और इस पर किसी देश की सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होता. रुपए या डॉलर की तरह इसकी छपाई भी नहीं होती. इसका यूज़ गैरकानूनी ट्रांजैक्शनस के लिए किया जाता है.
इस करेंसी के लेन देन में फीस भी बहुत कम लगती है. जहां आम बैंक ट्रांसफर के लिए 5 से 30% कमीशन और टैक्स देना पड़ता है वहीं बिट कॉइन के लेन देन में सिर्फ 2 रूपए जितनी फीस लगती है.
इस करेंसी को पाने के लिए दुनिया भर के अरबतियों में होड़ लगी हुई है. बिट कॉइन हासिल करने के लिए एक पहेली को हल करना पड़ता है. लेकिन अगर आपने बिहार के टॉपर गणेश की तरह पढ़ाई की है तो आप पैसे देकर भी इस करेंसी को खरीद सकते हैं.
रेनसमवेयर अटैक के बारे में तो सुना ही होगा. इसके अटैकर्स लोगों का चोरी किया हुआ डाटा वापिस लौटाने के लिए पैसों की डिमांड इसी करेंसी में करते हैं. ताकि वो पकड़े न जाएं.
इस करंसी पर डिमांड एंड स्पलाई का नियम काम करता है. हर 4 साल में जारी होने वाले बिट कॉइन की गिनती आधी रह जाती है यानी 125 साल बाद बिट कॉइन बनना बंद हो जाएंगे. यही वजह है कि इस करेंसी का रेट भी बढ़ता जा रहा है. कुछ संस्थाओं का अनुमान है कि 2018 तक इसकी कीमत 6 लाख तक होगी.
RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल में स्पष्ट किया था कि बिट कॉइन को भारत सरकार और रिजर्व बैंक करेंसी नहीं मानता है. मगर इसका इस्तेमाल गैर कानूनी नहीं है.