युद्धमें अयोध्या किताब की मानें तो चंद्रशेखर सरकार अगर 1991 में महज़ छह महीनों में न गिरती तो बाबरी मस्जिद ढांचा गिरने से बचाया जासकता था. अयोध्या को लेकर छिड़े इस राजनीतिक संग्राम में 6 दिसंबर 1992 से थोड़ा पीछे जाने की ज़रूरत है. तत्कालीनप्रधानमंत्री चंद्रशेखर अयोध्या पर सहमति बनाने का रास्ता ढूंढने के संकल्प मेंजुटे थे. किताब के मुताबिक सिर्फ एक सवाल पर उन्होंने दोनों पक्षों को आमने-सामनेबिठा दिया था और वो सवाल था कि क्या उस जगह पर मस्जिद से पहले कोई हिंदू ढांचा था? ये जानकारी दी गई है हेमंत शर्मा की किताब युद्ध में अयोध्या में