किसी का क़त्ल हो और मौके पर सुसाइड नोट भी पड़ा हुआ मिले, ऐसा कम ही देखने को मिलता है. यकीनन ऐसे सुसाइड नोट असली नहीं होते, बल्कि पुलिस को उलझाने के लिए मौके पर छोड़े जाते हैं. पूर्वी दिल्ली में चौबीस साल की एक महिला और उसकी तीन साल की मासूम बेटी के दोहरे कत्ल की कहानी कुछ ऐसी ही है. लेकिन सवाल ये है आख़िर कौन है कातिल?
लेकिन सवाल ये है कि आखिर बंद कमरे में लाश और लाश के पास सुसाइड नोट मिलने के बावजूद आख़िर वो कौन सी बात है, जिसके चलते पुलिस ये दावा कर रही है कि ये मामला क़त्ल का है और वो जल्द ही क़ातिल तक पहुंच जाएगी.