मोदी सरकार देश को कैशलेस करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. पर सवाल उठता है कि क्या देश कैशलेस होने के लिए तैयार है. बाजार क्या कैशलेश होने का जोखिम उठा सकता है. वो भी तब जब हमारा समाज आर्थिक मोर्चे पर बंटा हुआ है. इस देश में 5 हजार महीने में गुजर करने वाले भी हैं और 5 लाख महीना कमाने वाले भी. अब सवाल उठता है कि क्या सभी को एक ही तराजू में तौला जा सकता है.