हिंदुस्तान एक देश, एक टैक्स और एक मार्केट के रास्ते पर चल पड़ा है. संसद के सेंट्रल हॉल में भव्य कार्यक्रम के बाद इसे आर्थिक क्रांति से जोड़ दिया गया. लेकिन संसद के बाहर व्यापारी सड़कों पर उतर आए हैं. ये आवाज जीएसटी के खिलाफ है. व्यापारी इसे लागू करने के तरीके के खिलाफ हैं.