कर्नाटक में वोटों की शक्ति के आगे मठ मंदिर की भक्ति के दिन आ गए हैं. कर्नाटक का किला बचाने के लिए राहुल गांधी मठों- मंदिरों तक में शीश नवा रहे हैं तो 17 फीसदी की ताकत वाले लिंगायतों को अलग धर्म के दर्जे का वादा फाइलों से निकालकर लहरा दिया गया है. कमोबेश बीजेपी भी 84 फीसदी हिंदू आबादी वाले कर्नाटक में धर्म की डोज के जरिए वोटरों को बदलाव का नारा थमा रही है. सवाल ये है कि क्या धर्म ही बेड़ा पार करेगा तो क्या विकास के वादे शोर में खो जाने के लिए दिए गए थे. राहुल श्रृंगेरी मठ पहुंचे तो क्या वोटर भी आर्शीवाद की वर्षा करेंगे?