
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 1984 सिख विरोधी दंगे मामले से संबंधित मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने उसके समक्ष लंबित कुछ स्वतः संज्ञान संशोधन याचिकाओं की सुनवाई में प्रगति के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट रजिस्ट्री से एक और रिपोर्ट मांगी.
पिछली बार कोर्ट ने रजिस्ट्री को इन पुनरीक्षण याचिकाओं की वर्तमान स्थिति पर दिल्ली हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगने का निर्देश दिया था. यह तब हुआ जब कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता की एक शिकायत यह है कि सिख विरोधी दंगों से संबंधित कुछ स्वतः संज्ञान संशोधन याचिकाओं का दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निपटारा नहीं किया जा रहा है.
आज कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट का अवलोकन किया जिसमें दर्ज किया गया है कि पुनरीक्षण याचिकाओं को कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है. इसके बाद कोर्ट ने अप्रैल के अंत तक आगे की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में 2500 से ज्यादा मौतें, 500 के करीब FIR... 1984 के सिख विरोधी दंगों की पूरी कहानी
कोर्ट ने दिया ये आदेश
इससे पहले जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने विचार किया था कि चूंकि उसके पास 2016 की वर्तमान रिट याचिका है, इसलिए उसने निर्देश दिया था कि एक बार दायर की गई उक्त एसएलपी को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए, ताकि उन याचिकाओं को इस रिट याचिका के साथ टैग करने के निर्देश प्राप्त किए जा सकें.
आज कोर्ट ने पाया कि उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है, इसलिए उसने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इन मामलों को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे, ताकि उन्हें एक साथ टैग किया जा सके.
28 मार्च को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट इस पर 28 मार्च को विचार करेगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में बरी किए गए लोगों के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर करने वाले छह मामलों में छह सप्ताह के भीतर याचिका दायर की जाए.
यह भी पढ़ें: 27 साल बाद हाई कोर्ट ने सिख विरोधी दंगों के मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने से किया इनकार
यह तब हुआ जब दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 8 मामलों में से छह मामलों में दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एसएलपी दायर करेगी. यह प्रस्तुत किया गया कि 2 मामलों में एसएलपी पहले ही दाखिल की जा चुकी है.