Advertisement

'गुटखा जैसे हानिकारक पदार्थों का जो करते हैं प्रचार, ऐसे पद्म विजेताओं के खिलाफ हो कार्रवाई', HC ने सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कुछ 'पद्म पुरस्कार विजेताओं'द्वारा हानिकारक और भ्रामक विज्ञापन करने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे विज्ञापन करने वालों कीओर ध्यान आकर्षित करने वाली याचिका पर विचार क्यों नहीं किया गया?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:55 PM IST

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पान मसाला और गुटका बनाने वाली कंपनियों और उसका प्रचार करने वाले अमिताभ, शाहरुख, अजय देवगन सहित कई अभिनेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22.09.22 को दिए गए आदेश के परिपालन में कोई समुचित कार्रवाई न करने पर दायर अवमानना अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

वकील ने दायर की है याचिका

Advertisement

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ में एकल जज पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता वकील मोतीलाल यादव ने खुद पेश हो कर गुटखा और पान मसाला कंपनियों के बनाए उत्पादों का प्रचार करने वाले अभिनेताओं, जिनमें पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियां भी शामिल हैं, के खिलाफ समुचित  कार्रवाई न किए जाने की दलील दी थी. इस पर कोर्ट आदेश की अवमानना अर्जी पर केंद्रीय कैबिनेट सचिव व केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी किया है.

जस्टिस राजेश सिंह चौहान की पीठ ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य आयुक्त निधि खरे को अवमानना  नोटिस जारी कर चार हफ्ते में अपना पक्ष रखने की कहा है. इस आवेदन में मोतीलाल यादव ने कहा कि पद्म पुरस्कार अलंकृत हस्तियों का इन विज्ञापनों का हिस्सा बनना किसी भी सूरत में उचित और नैतिक नहीं होना चाहिए.

Advertisement


 
इन अभिनेताओं के खिलाफ एक्शन की मांग

अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार, सैफ अली खान के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई गई है. ये सभी गुटखा कंपनियों के उत्पादों के विज्ञापन करते हैंय पीठ ने  अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय की है. इस मामले में जनहित याचिकाकर्ता की दलील थी कि दोनों अधिकारियों यानी कैबिनेट सचिव और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की अध्यक्ष को पिछले साल 15 अक्टूबर 2022 को प्रतिवेदन भेजा गया था. उसमें इन अभिनेताओं और इन हानिकारक उत्पादों को महिमंडित और क्रेजी बताने वाले उनसे विज्ञापन कराने वाली कंपनियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की अपील की गई थी, लेकिन साल बीत जाने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

इस पर कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि क्या कोई कार्रवाई हुई या नहीं? याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 1996 में दिए गए एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने पद्म पुरस्कार के लिए हस्तियों के चुनाव पर चिंता जताई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement