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'ऐसे मामलों में गाइडलाइन बनाना जरूरी,' एयर इंडिया पेशाब कांड में सुप्रीम कोर्ट में याचिका

एयर इंडिया पेशाब कांड के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इसमें पीड़ित महिला ने डीजीसीए, एयरलाइंस को एसओपी का सख्ती से पालन करने का निर्देश देने की मांग की है. शिकायतकर्ता ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए Standard Operating Procedure जरूरी है.

एयर इंडिया पेशाब कांड में पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. (फाइल फोटो) एयर इंडिया पेशाब कांड में पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

एयर इंडिया पेशाब कांड सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पिछले साल नवंबर में न्यूयॉर्क-दिल्ली एयर इंडिया के विमान में एक पैसेंजर ने कथित तौर पर पेशाब कर दिया था, जिसके बाद चर्चा में आई 72 साल की पीड़ित महिला ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. पीड़ित ने ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) तैयार करने के लिए डीजीसीए और एयरलाइंस को निर्देश देने की मांग की है. पीड़िता ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में शराब दिए जाने की सीमा निर्धारित करने और घटना की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक की मांग की है.

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महिला ने कहा कि वो अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए विवश हो गई है. क्योंकि एयर इंडिया और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) घटना के बाद उसकी देखभाल और जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने में विफल रहे हैं. साथ ही अनुमानों से भरी प्रेस रिपोर्टिंग ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पीड़ित के रूप में याचिकाकर्ता के अधिकारों को गंभीर रूप से कम कर दिया है और निष्पक्ष रूप से अभियुक्तों के अधिकारों को भी प्रभावित किया है. 

'गलत रिपोर्टिंग से सुनवाई हुई है प्रभावित'

मीडिया रिपोर्टिंग पीड़ित और अभियुक्त दोनों को पूर्वाग्रह से ग्रसित करती है. याचिकाकर्ता की 'एयर सेवा' की शिकायत के चुनिंदा लीक होने, प्राथमिकी और चुनिंदा गवाहों के बयानों को मीडिया में जारी किए जाने के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई भी काफी हद तक प्रभावित हुई है. याचिका में कहा गया है कि मीडिया आउटलेट्स के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव है. रिपोर्टिंग की क्या आवश्यकता है, क्या उन्हें अनुमान लगाना चाहिए- जहां मामले विचाराधीन हैं, और असत्यापित बयानों के आधार पर मीडिया कवरेज का प्रभाव पीड़ित के साथ-साथ अभियुक्तों को भी प्रभावित करता है.

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'इस तरह की घटनाओं से निपटा जा सके'

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि उसके इरादे आम जनता के हित में है और एयरलाइन बिजनेस में एक गाइडलाइन तय किया जाना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और यदि वे होती हैं, तो उनसे निपटा जा सके, ताकि यात्रियों को अतिरिक्त परेशानी न हो. उन्होंने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की कि नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं (CAR) मानदंड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित उच्चतम मानकों का पालन करें. 

रिपोर्टिंग का प्रोटोकॉल पालन करने की मांग

महिला ने डीजीसीए और एयरलाइन कंपनियों को एसओपी की कानूनी आवश्यकताओं, ऑपरेशन मैनुअल और एयरलाइन क्रू और कर्मचारियों द्वारा पालन किए जाने वाले रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल का पालन करने की मांग की. बता दें कि 31 जनवरी को दिल्ली की एक अदालत ने शंकर मिश्रा को जमानत दे दी थी. उस पर एयर इंडिया की न्यूयॉर्क से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट में महिला पर पेशाब करने का आरोप है. ट्रायल कोर्ट ने शंकर मिश्रा को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर राहत दी है.

उस पर कई शर्तें भी लगाई थीं, जिनमें यह भी शामिल था कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा या किसी भी तरह से उनसे संपर्क नहीं करेगा. शंकर मिश्रा को बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ने और जांच अधिकारी या संबंधित अदालत द्वारा बुलाए जाने पर जांच और मुकदमे में शामिल होने के लिए कहा गया है.

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शंकर को 6 जनवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था और 7 जनवरी को यहां की एक अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. आरोपी ने पिछले साल 26 नवंबर को एयर इंडिया की फ्लाइट की बिजनेस क्लास में नशे की हालत में महिला पर कथित तौर पर पेशाब किया था. एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 11 जनवरी को मिश्रा को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसका कृत्य पूरी तरह से घृणित है. जिसने नागरिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है और इसकी निंदा करनी चाहिए.

 

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