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अयोध्या एयरपोर्ट: किसानों की जमीन के अधिग्रहण पर अलर्ट कोर्ट, प्रशासन से मांगा जवाब

अयोध्या में सरकार द्वारा एयरपोर्ट बनाया जा रहा है, इसके लिए किसानों की जमीन ली गई है, जिस पर पंचराम प्रजापति सहित 107 किसानों ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उनकी जमीन व मकान पर एयरपोर्ट बनाने के लिए कब्जा किया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो) इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
आशीष श्रीवास्तव
  • प्रयागराज ,
  • 27 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:56 PM IST
  • किसानों के अधिकारों के उल्लंघन का मामला
  • भूमि अधिग्रहण नियमों के उल्लंघन का आरोप
  • कोर्ट ने डीएम को पेश होने के लिए कहा

अयोध्या में बन रहे एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों से ली गई जमीन के बारे में हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जिला प्रशासन से जवाब तलब किया है, और 29 जून को अयोध्या के डीएम, एसडीएम सदर, तहसीलदार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होकर बताने का आदेश दिया है.

आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक अयोध्या में सरकार द्वारा एयरपोर्ट बनाया जा रहा है, इसके लिए किसानों की जमीन ली गई है, जिस पर पंचराम प्रजापति सहित 107 किसानों ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उनकी जमीन व मकान पर एयरपोर्ट बनाने के लिए कब्जा किया गया है.

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इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की है. कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस राजन रॉय एवं जस्टिस सौरभ लवानिया ने यह आदेश पंचराम प्रजापति समेत 107 किसानों की ओर से दाखिल की गई याचिका पर दिया है जिसमें एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों से ली गई जमीन के बारे में कोर्ट को बताने के लिए कहा गया है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि धर्मदासपुर सहादत गांव में उनकी जमीनें व मकान हैं. लेकिन उनकी संपत्ति के अधिकार का घोर उल्लंघन करते हुए उनकी जमीनों व मकान पर एयरपोर्ट बनाने के लिए कब्जा किया जा रहा है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का भी अनुपालन नहीं किया जा रहा है, दलील दी गई है कि जमीनों का अधिग्रहण अथवा खरीद किस प्रक्रिया के तहत की जाएगी, इसका कोई मानदंड तय नहीं है. जमीनों के खरीद की दर का भी कोई पता नहीं है. जिला प्रशासन मनमानी पर उतारु है और अनुचित दर पर जमीन बेचने का दबाव डाला जा रहा है.

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पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उपरोक्त तीनों अधिकारियों को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया है. साथ ही यह भी पूछा है कि याचिकाकर्ताओं की जमीनों का अधिग्रहण अथवा खरीद किया जा चुका है अथवा नहीं.

 

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