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क्या एक धर्मनिरपेक्ष राज्य मदरसों को फंड दे सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट का सवाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक शिक्षा की फंडिंग को लेकर एक अहम सवाल किया है. हाईकोर्ट ने सवाल पूछा है कि क्या पंथ निरपेक्ष राज्य मदरसों को फंड दे सकता है. इसके साथ ही ये भी सवाल किया है कि क्या मदरसे धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो) इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
पंकज श्रीवास्तव
  • प्रयागराज,
  • 02 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST
  • राज्य सरकार से 4 हफ्तों में मांगा जवाब
  • मामले में 6 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक शिक्षा पर फंडिंग को लेकर बुधवार को कई अहम सवाल किए. हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या एक धर्म निरपेक्ष राज्य मदरसों को फंडिंग कर सकता है? इसके साथ ही ये सवाल भी क्या कि क्या संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं?

मदरसों को लेकर पूछे कई सवाल

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या संविधान के तहत मदरसे धार्मिक शिक्षा और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं? साथ ही ये सवाल भी किया कि क्या मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 तक मिले मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं? हाईकोर्ट ने ये भी पूछा कि क्या मदरसों में महिलाओं को प्रवेश मिलता है? अगर नहीं मिलता तो क्या ये भेदभावपूर्ण नहीं है?

हाईकोर्ट ने राज्य से पूछे ये अहम सवालः

1. क्या मदरसे अनुच्छेद 28 के तहत धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं?
2. क्या मदरसों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है?
3. क्या मदरसे मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वासों को संरक्षण दे रहे हैं?
4. क्या यहां अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत खेल के मैदान हैं?
5. क्या सरकार दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को फंड दे रही है?

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4 हफ्तों में मांगा सरकार से जवाब

ये सवाल जस्टिस अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया है. ये मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और इसे राज्य सरकार की ओर से सहायता मिलती है. हाईकोर्ट ने इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए राज्य सरकार को 4 हफ्तों का वक्त दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी.

 

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