Advertisement

'बालिगों को अपनी मर्जी से जीने का अधिकार,' लिव इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला

लिव इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि 'बालिगों को उनकी स्वेच्छा से रहने-जीने का अधिकार है. कोई भी उनके मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.' ये फैसला हाई कोर्ट के जस्टिस सुनीत कुमार और सैयद वैज मियां की डिवीजन बेंच ने सुनाया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो). इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो).
पंकज श्रीवास्तव
  • प्रयागराज,
  • 31 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST

लिव-इन-रिलेशनशिप (Live In Relationship) को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा- 'बालिगों को उनकी स्वेच्छा से रहने-जीने का अधिकार है. कोई भी उनके मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.' यह फैसला हाई कोर्ट के जस्टिस सुनीत कुमार और सैयद वैज मियां की डिवीजन बेंच ने सुनाया है. इसके साथ ही बेंच ने मामले में दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर दिया है.

Advertisement

दरअसल, हाई कोर्ट में जौनपुर से जुड़े एक मामले में याचिका दायर की गई थी. इस मामले में लड़की के पिता ने लड़के पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था. कोर्ट में दोनों (लड़का-लड़की) ने खुद के बालिग होने का हलफनामा पेश किया और मर्जी से एक साथ रहने के बयान दर्ज कराए थे.

लिव इन पर क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले, लिव इन रिलेशनशिप के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की भी टिप्पणी आई थी. SC कहना था कि दो बालिग लोग आपसी सहमति से एक-दूसरे के साथ रह सकते हैं और ये कानून की नजर में अवैध नहीं है. कोर्ट ऐसे कपल को पारंपरिक शादी में रहने वाले जोड़ों की तरह ही देखता है, बशर्ते वो कोर्ट के तय किए गए नियमों के साथ लिव-इन में रह रहे हों.

लिव इन में रहने के लिए क्या है जरूरी?

Advertisement

लिव इन रिलेशन के लिए लड़का और लड़की दोनों का वयस्क होना जरूरी है. अगर कपल में लड़का या लड़की दोनों ही या दोनों में एक नाबालिग है तो उनका संबंध अवैध माना जाएगा और इस संबंध को लिव इन रिलेशन की मान्यता नहीं मिलती.

लिव इन से उत्पन्न संतान को माता-पिता की संपत्ति में अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिव इन में रहने के दौरान अगर कोई संतान पैदा होती है तो उसे अपने माता-पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा और इससे कोई भी लिव इन कपल बच नहीं सकता है.

लिव इन में धोखा देने पर हो सकती है कार्रवाई

लिव इन रिलेशनशिप में अगर एक पार्टनर दूसरे पार्टनर से शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाता है और बाद में मुकर जाता है तो यह एक अपराध माना जाता है. इस स्थिति में पीड़ित अगर चाहे तो केस दर्ज कराकर उसे सजा दिला सकता है.

क्या वैवाहिक होते हुए भी लिव इन में रहा जा सकता है?

कुछ समय पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर असहमति जताई थी जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक विवाहित व्यक्ति के लिव इन संबंध को अपराध माना था. पंजाब हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि दो बालिग लोग आपसी सहमति से एक साथ रह सकते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement