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इलाहाबाद हाई कोर्ट के परिसर से मस्जिद हटाने के लिए SC का 3 महीने का अल्टीमेटम

इलाहाबाद हाई कोर्ट के परिसर में मौजूद मस्जिद को हटाया जाएगा. हाई कोर्ट के ही पुराने आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को तीन महीने की मोहलत दी है. तय समय पर अगर मस्जिद नहीं हटाई जाती तो कोर्ट सख्त कार्रवाई भी कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट के परिसर में मौजूद मस्जिद को हटाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को ही बरकरार रखा है और किसी भी तरह के हस्तक्षेप से मना कर दिया है. सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में दखल की कोई वजह उनको नज़र नहीं आती. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट परिसर खाली करने के लिए याचिकाकर्ता यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को तीन महीने की मोहलत दी है.

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जानकारी के लिए बता दें कि इलाहाबाद HC ने कोर्ट परिसर में स्थित एक मस्जिद को खाली करने के निर्देश दिया था. उसी आदेश को याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को तीन महीने में मस्जिद हटाने की मोहलत देते हुए कहा कि अगर तब तक मस्जिद नहीं हटाई गई  तो हाईकोर्ट सहित अधिकारियों के लिए ये विकल्प खुला होगा कि वे उसे अवैध निर्माण मानते हुए तत्काल हटा दें या गिरा दें.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस शाह और जस्टिस कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को पास के क्षेत्र में वैकल्पिक भूमि के आवंटन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के पास अनी बात रखने की भी अनुमति दी है. पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित किया कि मस्जिद एक सरकारी पट्टे की भूमि में स्थित थी और अनुदान को 2002 में बहुत पहले ही रद्द कर दिया गया था. पीठ ने कहा कि 2012 में भूमि की बहाली की पुष्टि की थी और इसलिए, याचिकाकर्ता परिसर पर किसी कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकते. 

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वैसे सुनवाई के दौरान वक्फ मस्जिद के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की वर्तमान इमारत का निर्माण वर्ष 1861 में किया गया था.
तब से मुस्लिम वकील, मुस्लिम क्लर्क, मुस्लिम मुवक्किल शुक्रवार को उत्तरी कोने पर नमाज अदा कर रहे थे. वहां बकायदा वजू की भी व्यवस्था थी. बाद में जिस बरामदे में नमाज पढ़ी जा रही थी, उसके पास जजों के चैंबर बना दिए गए. मुस्लिम वकीलों के आग्रह पर तब हाई कोर्ट रजिस्ट्रार ने नमाज़ अदा करने के लिए हाईकोर्ट परिसर के दक्षिणी छोर पर एक और जगह नियत कर दी थी. 

इस पर उत्तर प्रदेश सरकार के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जवाब दिया कि हाई कोर्ट के 500 मीटर के दायरे में एक और मस्जिद मौजूद है. वहां नमाज अदा की जा सकती है. 

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