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मां का आंचल या दादी की गोद... हाई कोर्ट ने बताया किसके पास रहेंगे मासूम बच्चे

कोर्ट ने मां के अधिकार को प्रमुखता देते हुए दोनों बच्चों को उनकी मां को सौंप दिया है. वहीं बच्चों की दादी को ये अधिकार दिया है कि वो हर शनिवार को अपने पोते और पोती से दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक मिल सकती हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट. -फाइल फोटो इलाहाबाद हाईकोर्ट. -फाइल फोटो
पंकज श्रीवास्तव
  • प्रयागराज,
  • 23 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST
  • कुछ महीने पहले महिला के पति ने की थी सुसाइड
  • कोर्ट ने दो बच्चों की कस्टडी मां को सौंपी

सास और बहू के बीच चल रहे विवाद के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो बच्चों की कस्टडी उनकी मां को सौंपते हुए कहा है कि मां की शक्ति को कम नही आंका जा सकता, मां का प्यार और आशीर्वाद बच्चों को मिलना चाहिए. एक बच्चे के जीवन के लिए विश्वास और भावनात्मक अंतरंगता की मजबूत नींव स्थापित करने के लिए मां का प्यार बच्चे के लिए आवश्यक है. कोर्ट ने अपनी दादी के साथ रह रहे बच्चों की कस्टडी उनकी मां को सौंप दी है. ये आदेश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने सीमा शर्मा की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है.

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कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि बच्चे मां-बाप के खेलने की चीज नहीं है. उनका विकास और कल्याण सर्वोपरि है और जब मां बच्चों के साथ होगी तभी उनकी अच्छी तरीके से देखभाल और रक्षा हो सकेगी. अगर बच्चे के इस प्यार को रोक दिया जाता है तो बच्चा इस प्यार को पाने के लिए दूसरे तरीकों को ढूंढने की कोशिश करेगा. 

कुछ महीने पहले पति ने की थी सुसाइड

दरअसल, याची सीमा शर्मा और कपिल शर्मा की शादी मार्च 2016 में हुई थी. कपिल शर्मा ने सुसाइड कर लिया था. इस दौरान दोनों को एक बेटी और बेटे हुए थे जिनकी उम्र ढाई और पांच साल है. वहीं सीमा शर्मा सहित पांच और लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था. इस मामले की जांच अभी चल रही है और अभी तक इसकी चार्जशीट दाखिल नही की गई है.

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पति कपिल की मौत के बाद उसकी विधवा पत्नी सीमा मुरादाबाद में अपनी बहन के यहां चली गई. वहीं दोनों बच्चे अपनी दादी के पास रहने लगे. इस मामले में अपने बच्चो को पाने के लिए याची सीमा इलाहबाद हाईकोर्ट ने बच्चों की कस्टडी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी.

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिन्दू अप्राप्तव्यता और संरक्षता अधिनियम 1956 की धारा 6 A को ध्यान में रखते हुए कहा है कि जब तक बच्चा पांच साल से कम उम्र का है तब तक बच्चा मां की कस्टडी में ही रहना चाहिए. एक बच्चे के जीवन में मां के प्यार की ज़रूरत ज्यादा है. मां किसी और के मुकाबले बहुत ज्यादा ऊंचे पायदान पर खड़ी है. 

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