
Mohammed Zubair Arrest: AltNews के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को पटियाला हाउस स्थित नई दिल्ली की जिला अदालत ने मंगलवार को चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा दिया है. दिल्ली पुलिस ने सोमवार देर रात जुबैर को आपत्तिजनक ट्वीट कर धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट की चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवारिया की कोर्ट में उन्हें पेश किया गया था.
जुबैर की ओर से सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ज़ुबैर फैक्ट चेकर हैं. सोशल मीडिया पर झूठ का पर्दाफाश करते हैं, इसलिए बहुत से लोग इसे नापंसद करते हैं. यह बेंगलुरु में रहते हैं. उसे दिल्ली में पूछताछ के लिए पुलिस ने बुलाया था. उसे पूछताछ के लिए किसी और केस में नोटिस दिया गया था और गिरफ्तारी दूसरी केस में हुई.
कई लोगों ने रिट्वीट किया तो जुबैर को ही क्यों पकड़ा
वकील ने कहा कि जिस ट्वीट पर गिरफ्तारी हुई है, वह ट्वीट 2018 का है. उसको लेकर 2022 में किसी ने शिकायत कर दी. फिल्म 'किसी से न कहना' की एक तस्वीर उसने ट्वीट कर दी थी. इसमें किसी ने हनीमून होटल के साइनबोर्ड को एडिट कर हनुमान होटल कर दिया था.
उन्होंने तक इस तस्वीर ज्यो की त्यों अपलोड/पोस्ट किया दिया था. केवल जुबेर ही नहीं बल्कि बहुत से लोगों ने ट्वीट को रिट्वीट किया था और अपने-अपने अंदाज में उस पर चुटकी भी ली थी, लेकिन गिफ्तार सिर्फ जुबैर को ही किया गया.
जुबैर ने नहीं बनाया धार्मिक स्थल का मजाक
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जुबैर फैक्ट चेकर के तौर पर जिन चीजों के लिए स्टैंड लेते रहे हैं, उसके लिए कानून का दुरुपयोग करके उन्हें परेशान किया जा रहा है. वैसे भी होटल कोई धार्मिक स्थल नहीं है. जुबैर ने किसी धार्मिक स्थल का मजाक नहीं बनाया है या न ही उसके विकृत रूप को दिखाया है. यह तो हनीमून पर जाने वाले कपल को लेकर 1983 की फिल्म में एक मजाक था.
उन्होंने बताया कि पुलिस ने जुबैर का फोन जब्त कर लिया है, जबकि वह पुलिस को पहले ही बता चुका है कि वह ट्वीट के लिए सिर्फ अपने मोबाइल का इस्तेमाल करता है, लैपटॉप का नहीं. उन्हें अब मेरे लैपटॉप की आवश्यकता क्यों है?
जुबैर की ओर से कहा गया कि मैं 2018 में एक अलग फोन का इस्तेमाल करता था. मैंने वह फोन खो दिया. यह पहली बार नहीं कह रहा हूं. यह मैं पहले के मामले में हाइकोर्ट के सामने पहले ही कह चुका हूं और मेरे पास खोई हुई रिपोर्ट भी है. मुझे धमकी देकर कहा गया कि उन्हें खोया फोन नहीं मिलेगा. उन्हें अब लैपटॉप चाहिए.
जांच में सहयोग नहीं कर रहे मोहम्मद जुबैर
दिल्ली पुलिस ने कहा कि आज-कल लोग ट्विटर पर अपने फॉलोवर को बढ़ाने के लिए किसी समुदाय को टारगेट कर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा जुबैर का काम है सिर्फ धार्मिक और विवादित और भड़काऊ टिप्पणी करना. अब वो जांच में सहयोग भी नहीं कर रहे हैं.
दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमने वो लैपटॉप भी रिकवर किया है, जिससे ट्वीट किया गया था. अपनी दलीलों के बाद दिल्ली पुलिस ने जुबेर की 5 दिन की रिमांड की मांग की थी.
पटियाला हाउस कोर्ट ने आदेश में कहा कि मोहम्मद जुबैर की निशानदेही पर पुलिस को उसके बंगलौर स्थित घर से मोबाइल /लैपटॉप बरामद करना है, इसलिए पुलिस को उसे बेंगलुरु ले जाना है. अभी तक उसने जांच में सहयोग नहीं दिया है. लिहाजा चार दिन की पुलिस रिमांड दी जाती है. जुबैर को अब 2 जुलाई को अदालत के सामने पेश किया जाएगा.
पुलिस ने कहा, नूपुर मामले से लेना-देना नहीं
डीसीपी मल्होत्रा ने ये भी साफ किया है कि जुबैर की गिरफ्तारी का नूपुर शर्मा मामले में कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने उन्हें 41ए के तहत नोटिस दिया था और सोमवार को कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है.
डीसीपी का कहना था कि भले ही उन्होंने अपने ट्वीट में मूवी ग्रैब का इस्तेमाल किया हो, लेकिन HC के एक फैसले में ये कहा गया है कि आप जो भी ट्वीट या कोट करते हैं, उसके जिम्मेदार आप खुद होंगे.
जुबैर की गिरफ्तारी भेदभाव पूर्ण, जमीयत ने शाह को लिखा पत्र
वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई भेदभाव पर आधारित है. ऑल्ट न्यूज का काम झूठी और नकली जानकारी फैलाने के युग में सच्चाई को सुलझाना है, जो वास्तव में देश की एक बड़ी सेवा है.
महमूद मदनी ने गृह मंत्री को एक पत्र भेजकर कहा, "मुझे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भेदभावपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ शिकायत है:" एक तरफ नफरत भरे भाषण और नरसंहार का आह्वान करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि पत्रकार जो नफरत फैलाने वालों को बेनकाब करने के लिए अथक प्रयास करते हैं, उन्हें व्यवस्थित रूप से परेशान और धमकाया जा रहा है."
उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाने वालों से कानून के प्रावधानों के तहत सख्ती से निपटा जाना चाहिए, लेकिन इस संबंध में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.