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MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर विवाद, 2 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्त को लेकर विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. LG के फैसले के खिलाफ दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली सरकार का कहना है कि यह लोकतंत्र का अपमान है. एक पार्टी बहुमत से जीत कर आती है और उसे पलटने की कोशिश हो रही है.

MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. (फाइल फोटो) MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

दिल्ली नगर निगम में उपराज्यपाल द्वारा एल्डरमैन की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार की चुनौती याचिका पर अब अगले मंगलवार को सुनवाई होगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एलजी सचिवालय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था. दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह लोकतंत्र का अपमान है. एक पार्टी बहुमत से जीत कर आती है और उसे पलटने की कोशिश हो रही है.

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सोमवार को CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदी वाला की बेंच के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की सुनवाई टालने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 मई को तय कर दी है.

'LG बोले- कानूनी स्थिति बदल चुकी है...'

वहीं, इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय का कहना था कि GNCTD एक्ट में 2019 में हुए बदलाव के बाद कानूनी स्थिति बदल चुकी है. बता दें कि दिल्ली में पहली बार LG ने MCD में  एल्डरमैन अपनी मर्जी से नियुक्त किए हैं. इससे पहले अब तक दिल्ली सरकार एल्डरमैन का चयन करती थी.

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आप ने क्या आरोप लगाए हैं... 

एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर आम आदमी पार्टी उप राज्यपाल वीके सक्सेना पर फ्रॉड करने का आरोप लगा चुकी है. तब पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि एलजी ने गैर क़ानूनी तरीके से निगम प्रशासन का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ की बजाए भाजपा कार्यकर्ताओं को एल्डरमैन बनाया. उन्होंने कहा कि संविधान का आर्टिकल 243R कहता है कि एल्डरमैन वो लोग होंगे जिन्हें निगम प्रशासन का ख़ास अनुभव होगा, विशेषज्ञ हों.

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कौन होते हैं एल्डरमैन?

बता दें कि डीएमसी ऐक्ट, 1957 के तहत 10 ऐसे विशेषज्ञ मनोनीत पार्षद के तौर पर चुने जाते हैं, जिनके पास स्पेशल नॉलेज या निगम के प्रशासन का अनुभव हो. इन्हें प्रशासक यानि राज्यपाल की तरफ से मनोनीत किया जाता है. दिल्ली के एलजी ने जिन 10 एल्डरमैन को नॉमिनेट किया था, वे सभी बीजेपी के सदस्य हैं. एल्डरमैन को वो सभी अधिकार होते हैं जो एक पार्षद के पास होते हैं. उन्हें वोटिंग का अधिकार मिलने से मेयर, डेप्युटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के चुनाव में काफी हंगामा हुआ था. 

स्टैडिंग कमेटी को लेकर है सारी कवायद 

एमसीडी चुनाव जीतकर भले ही आम आदमी पार्टी का मेयर बन गया हो लेकिन AAP के लिए असली चुनौती स्टैडिंग कमेटी का चुनाव है जिसमें एल्डरमैन को वोटिंग का अधिकार है. स्टैंडिंग कमेटी दिल्ली नगर निगम की सबसे ताकतवर कमेटी है. दिल्ली नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के पास फैसले लेने की शक्तियां काफी कम है. उसकी एक बड़ी वजह यह है की लगभग सभी किस्म के आर्थिक और प्रशासनिक फैसले 18 सदस्यों वाली स्टैंडिंग कमेटी ही लेती है और उसके बाद ही उसे आगे सदन में पास करवाने के लिए भेजा जाता है. ऐसे में स्टैंडिंग कमेटी काफी पावरफुल होती है और स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन एक किस्म से एमसीडी का असली राजनीतिक हेड होता है.

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