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SC से अरविंद केजरीवाल को मिली राहत, 2014 में भड़काऊ भाषण के मामले में इलाहाबाद HC के फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी है,जिसमें कि सुल्तानपुर सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा गया था. दरअसल यह मामला 2014 के आम चुनावों के दौारान केजरीवाल द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण से जुड़ा हुआ है. फिलहाल दिल्ली के सीएम केजरीवाल के लिए यह राहत भरी खबर है.

2014 में भड़काऊ भाषण के मामले में इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई रोक 2014 में भड़काऊ भाषण के मामले में इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई रोक
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:39 AM IST

सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी है. इस आदेश में 2014 के आम चुनावों के दौरान दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के मामले में अरविंद केजरीवाल की रिवीजन अर्जी खारिज करने के सुल्तानपुर सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा गया था.

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आरोप है कि साल 2014 में सुल्तानपुर में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुमार विश्वास के लिए चुनाव प्रचार करते हुए केजरीवाल ने आचार संहिता का उल्लंघन किया था. यह मामला 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी की एक जनसभा में भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ कथित आपत्तिजनक भाषण का है.

भड़काऊ भाषण को लेकर चल रहा है केस

कोर्ट के आदेश से भी पता चलता है कि यह उल्लंघन उन्होंने भड़काऊ भाषण देकर किया था. इसके बाद अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास के अलावा अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था.

2014 के आम चुनावों से जुड़ा है मामला

जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 के तहत यह केस अमेठी के मुसाफिर खाना थाने में दर्ज कराया गया था. इसमें 9 जुलाई, 2014 को निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल हुआ था. इस केस में केजरीवाल ने निचली अदालत में आरोपमुक्त करने की अर्जी पेश की थी. वहां 4 अगस्त, 2022 को अदालत ने अर्जी खारिज कर दी थी.

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इलाहाबाद HC ने खारिज की थी याचिका

इसके बाद उन्होंने सुल्तानपुर जिला सत्र अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की. लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली तो उन्होंने हाई कोर्ट को रुख किया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उनको आरोपमुक्त करने वाली याचिका खारिज कर दी थी. न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालतों के दोनों आदेशों में कोई कमी या अवैधानिकता नहीं है. इसके बाद अपना फैसला सुना दिया.

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