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आरोपी कंपनी के MD को ही बनाया जांच समिति का मेंबर, NGT से नाराज SC

असम के बागजान तेल कुओं में पिछले साल मई के महीने में विस्फोट हो गया था, जिसके कारण जंगल और वेटलैंड्स में बड़े स्तर पर आग लगने की घटना हुई, इसके अलावा बड़े स्तर पर तेल के अवशेष रह गए, जिससे वाटर बॉडी को भारी नुकसान हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली ,
  • 01 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST
  • असम में तेल के कुओं में हुआ था विस्फोट
  • जून 2020 में हुआ था विस्फोट
  • डिब्रू नेशनल पार्क में लगी थी भारी आग

पिछले साल मई महीने में, डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क में स्थित तेल के कुओं में विस्फोट हो गया था, जिसके कारण आसपास की संवेनशील झीलों के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा था. इसे लेकर पर्यावरणविद लगातार आवाज उठाते रहे हैं. इस घटना ने डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क के पर्यावरण को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया था, जिसमें अत्यधिक क्रूड ऑयल पानी में फैल गया था, जिससे हजारों जानवरों की मौत हो गई थी.

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ये मामला अभी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में है, जहां इस मामले की जिम्मेदारी तय होनी है और पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई की व्यवस्था की जानी है. लेकिन पिछले एक साल से ये मामला NBT में यूं ही लंबित है. ऊपर से इस मामले की जांच समिति और क्षतिपूर्ती करने वाली समिति में घटना के लिए जिम्मेदार मानी जा रही कंपनी के ही MD को शामिल किए जाने से सुप्रीम कोर्ट खफा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने NGT के इस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत प्रदूषण फैलाने वाली कंपनी के MD को ही मामले की जांच समिति में शामिल किया गया है.

गुरुवार के दिन जस्टिस चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने NGT के आदेश पर स्टे लगा दी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है- ''हम NGT के आदेश से आश्चर्यचकित हैं. ऑयल इंडिया लिमिटेड कंपनी पर वेटलेंड्स को प्रदूषित करने का आरोप है और उसी कंपनी के MD को जांच समिति में शामिल कर लिया गया.''

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कोर्ट ने कहा- ''जब जून में गठित की गई एक एक्सपर्ट कंपनी ने अक्टूबर 2020 में ही इनिशियल रिपोर्ट सौंप दी थी फिर नई समिति बनाने की जरूरत क्या थी?''

बागजान तेल के कुओं में विस्फोट

आपको बता दें कि बागजान (Baghjan) तेल के कुओं में पिछले साल मई के महीने में ही विस्फोट हो गया था, जिसके कारण जंगल और वेटलैंड्स में बड़े स्तर पर आग लगने की घटना हुई, इसके अलावा बड़े स्तर पर तेल के अवशेष रह गए, जिससे वाटर बॉडी को भारी नुकसान हुआ था.

 

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