
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (KK Venugopal) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के उस फैसले को पलटने की गुहार लगाई है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि स्कीन टू स्कीन कॉन्टैक्ट ही यौन हमला माना जाएगा. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ये बेतुका तर्क है और कोई भी व्यक्ति ग्लव्स पहनकर अपराध कर सकता है और बच सकता है.
दरअसल, इसी साल जनवरी में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा था अगर आरोपी और बच्चे/बच्ची के बीच स्कीन टू स्कीन कॉन्टैक्ट नहीं होगा तो फिर POCSO एक्ट नहीं लगाया जा सकता. ये कहते हुए हाईकोर्ट ने आरोपियों को बरी करने का फैसला दिया था. हालांकि, 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को बरी करने पर रोक लगा दी थी.
पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत यौन हमले की परिभाषा पर दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, 'अगर कल को कोई व्यक्ति सर्जिकल ग्लव्स पहनकर किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करता है तो इस अपराध के लिए उसे हाईकोर्ट के विवादित फैसले के अनुसार यौन उत्पीड़न के लिए सजा नहीं दी जा सकेगी.'
उन्होंने बताया, 'पिछले एक साल में पॉक्सो के तहत 43 हजार अपराध दर्ज हुए हैं और इस परिभाषा के तहत कोई भी व्यक्ति ग्लव्स पहनकर किसी भी बच्चे पर यौन हमला कर सकता है और सजा से बच सकता है.' उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को 'अपमानजनक मिसाल' बताया.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में शमिल दोनों मामलों के आरोपियों की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ है. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने कहा कि नोटिस भेजने के बावजूद आरोपियों ने अपना पक्ष नहीं रखा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी उनकी पैरवी करे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 14 सितंबर को सुनवाई करेगी.
क्या था बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सेशन कोर्ट के फैसले में बदलाव करते हुए यह ऑर्डर दिया था. सेशन कोर्ट ने 39 साल के एक शख्स को 12 साल की नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ करने और उसकी सलवार निकालने के लिए यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि इस तरह के कृत्य से आईपीसी की धारा 354 के तहत 'छेड़छाड़' का अपराध तो होगा लेकिन ये पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत यौन शोषण नहीं होगा.