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डीजीपी नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

पश्चिम बंगाल में डीजीपी की नियुक्ति मामले में प्रक्रिया बदलने को लेकर ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार भी लगाई है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा/नलिनी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:26 PM IST
  • DGP की नियुक्ति पर सख्त सुप्रीम कोर्ट
  • पहले भी खारिज हो चुकी हैं याचिकाएं
  • संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप

पश्चिम बंगाल में पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति के मामले में प्रक्रिया बदलने को लेकर सुप्रीम से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. डीजीपी की नियुक्ति की याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि आपकी इस तरह की याचिका पहले भी खारिज हो चुकी है. 

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि आप बार-बार ऐसी याचिका दाखिल न करें. हमारे पहले के किसी आदेश में संशोधन की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर अब बेहत सख्त टिप्पणी भी की है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग भी बताया है.

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पश्चिम बंगाल सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाएं बार-बार दाखिल करना, न्यायिक प्रक्रिया और राज्य सरकारों को मिले संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग है. जस्टिस एलएन राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि बार-बार राज्यों को ज्यादा स्वायत्तता देने की अपील और आला अधिकारियों की नियुक्तियों में यूपीएससी की भूमिका को नजरंदाज करने की गुहार वाली याचिकाएं दायर करना कतई उचित नहीं है.

ममता सरकार को झटका, SC ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर दायर याचिका खारिज की
 
झारखंड में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर निशाने पर UPSC

सुप्रीम कोर्ट ने नियमों की अवमानना के एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के साथ झारखंड सरकार की खिंचाई की है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने DGP के न्यूनतम दो साल के कार्यकाल का जिक्र करते हुए राज्य और यूपीएससी की खिंचाई की है.

राज्य सरकार ने यूपीएससी पर लगाए आरोप!

चीफ जस्टिस ने झारखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के नोटिस जारी करने के बाद भी राज्य में एक नए DGP की नियुक्ति क्यों हुई. राज्य सरकार का यह फैसला बेहद गलत है. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डीजीपी के चयन के लिए एक पैनल बनाने के लिए यूपीएससी से बार-बार अनुरोध किया गया था, लेकिन यूपीएससी ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा. राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि हमने यूपीएससी को पांच बार पत्र लिखा है.

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UPSC में बदलाव की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने राज्य का हलफनामा देखा है और हमने यूपीएससी का 'महान' हलफनामा भी देखा है. वे यह भी नहीं जानते कि राज्य में क्या हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपीएससी को एक आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है.
 

 

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