
बिहार के विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं करने के मामले में सख्त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस समेत नौ राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और सीपीएम पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया. कोर्ट ने कांग्रेस और बीजेपी के साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआई, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि एक ऐप बनाएं जिसके जरिए जनता अपने उम्मीदवारों के संबंध में जानकारी हासिल करे. चुनाव आयोग एक फंड भी बनाए जिसमें जुर्माने की रकम का उपयोग हो.
कोर्ट ने ये भी कहा कि सभी राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट के होम पेज पर सबसे ऊपर प्रमुख स्थान पर उम्मीदवारों के रिकॉर्ड की जानकारी देने वाला एक आइकन बनाएंगे जिस पर क्लिक करते ही मतदाता के सामने उम्मीदवार का स्याह-सफेद सभी जानकारियां आ जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी को चेतावनी देकर छोड़ दिया. कोर्ट ने कहा कि लिप सर्विस ना करें. अदालत के आदेशों का पालन भावना के साथ करें.
ये दल अवमानना के दोषी
कोर्ट ने बीजेपी, कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी, जेडीयू, आरजेडी, सीपीआई, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राजनीतिक दल चयन के 48 घंटों के भीतर अपने उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करें. दलों को चुनाव के लिए चयनित उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास प्रकाशित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले को संशोधित किया.
दरअसल, फरवरी 2020 के फैसले के पैराग्राफ 4.4 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले या जो भी पहले हो, उसका आपराधिक इतिहास प्रकाशित किया जाएगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने उक्त फैसले के पैरा 4.4 में सुधार किया है और चयन के 48 घंटे के भीतर इसे प्रकाशित किया जाएगा. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कुछ अतिरिक्त निर्देश भी पारित किए.