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'अस्थाई तौर पर हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति प्रक्रिया सरल होनी चाहिए' : SC

हाईकोर्ट और निचली अदालतों की संख्या दोगुनी करने की मांग के मामले में SC में गुरुवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज संजय किशन कौल की अगुआई वाली पीठ ने सुनवाई में कहा, ''अस्थाई तौर पर हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए. अटॉर्नी जनरल और न्याय मित्र सुप्रीम कोर्ट में सुझाव पेश करें.''

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो). सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:24 AM IST

हाईकोर्ट और निचली अदालतों की संख्या दोगुनी करने की मांग के मामले में गुरुवार को एससी जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ में सुनवाई हुई. पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अस्थाई तौर पर हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए.

पीठ ने कहा, ''अटॉर्नी जनरल और इस मामले में कोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्र यानी एमाइकस क्याेरे अरविंद दातार आपस में मिल बैठ कर इसके लिए समुचित सुझाव कोर्ट में पेश करें. इस दौरान दोनों इस बात का भी ध्यान रखें कि अस्थाई जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया सरल, तेज रफ्तार हो. खास तौर से उनके लिए जो पहले जज रह चुके हैं, जिनकी नियुक्ति की अनुसंशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा की जाए.''

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पीठ ने यह भी कहा, ''संभव है कि वकीलों को दूसरे हाईकोर्ट में अस्थाई या एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, क्योंकि, कई वकीलों का कहना है कि अगर उनको अस्थाई तौर पर जज नियुक्त किया जाता है तो वह उस हाईकोर्ट में दोबारा प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे. ऐसी कई प्रक्रियागत और नैतिक पारंपरिक मान्यताएं हैं जिनको लेकर स्पष्टता जरूरी है.''

सुनवाई से SC ने किया है इंकार

हाईकोर्ट और निचली अदालतों की संख्या दोगुनी करने की मांग के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इन्कार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ जजों की संख्या बढ़ाने से मुकदमों की संख्या नहीं घटेगी. सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बोला था कि इलाहाबाद में 160 रिक्त पद भरना मुश्किल हैं. आप 320 की मांग कर रहे हैं? क्या आप बॉम्बे हाईकोर्ट गए हैं? वहां एक भी नया जज नहीं जोड़ा जा सकता. ढांचागत व्यवस्था ही नहीं है.

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उन्होंने आगे कहा था कि इस तरह की सामान्य जनहित याचिकाओं पर हम विचार नहीं कर सकते. अधिक न्यायाधीशों को जोड़ना इस समस्या का समाधान नहीं है.  किसी लोक लुभावन उपायों और शॉर्टकट सरल समाधान से किसी भी मुद्दे को हल करना संभव नहीं है. अगर जजों की संख्या बढ़ाना ही समाधान है तो फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही 320 जज क्यों जोड़े जाएं? हर जगह क्यों नहीं?

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा था कि हर वह कमियां जो आप देखते हैं उसके लिए जनहित याचिका ही दायर करना उपाय नहीं है. अदालतों में जजों की मौजूदा खाली सीटों पर ही जजों की नियुक्ति के लिए प्रयास करना जरुरी है. फिर आपको पता चल जाएगा कि यह भी कितना कठिन है.

 

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