
उत्तराखंड में महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चार धाम परियोजना को लेकर गठित हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष पद से रवि चोपड़ा ने इस्तीफा दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने रवि चोपड़ा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के कार्यकलाप की निगरानी कर रहे पूर्व जज जस्टिस एसके सीकरी से हाई पावर कमेटी का अध्यक्ष पद संभालने का अनुरोध किया है.
चार धाम के लिए दस मीटर चौड़ाई वाली ऑल वेदर रोड परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 दिसंबर को अनुमति दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार की ओर से 8 सितंबर 2020 को जारी आदेश में संशोधन की मांग को मानते हुए निर्माण की अनुमति देने के साथ ही कमेटी भी बना दी थी. इस कमेटी अध्यक्षता पर्यावरण विशेषज्ञ रवि चोपड़ा को सौंपी गई थी और इसके कामकाज की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एसके सीकरी को जिम्मेदारी दी गई.
समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा के साथ ही चार सदस्यों ने सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने की सिफारिश की थी. दूसरी तरफ 21 सदस्यों वाले दूसरे पक्ष ने सड़क की चौड़ाई 12 मीटर रखने की सलाह दी थी. सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कम सदस्यों वाली रिपोर्ट की सिफारिशों को मानते हुए सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा की ओर जाने वाली सड़क को चौड़ा करने की मांग की थी. इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में सीमा पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं. यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है. पर्यावरण के हित में सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एसके सीकरी के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति भी गठित की गई.
रक्षा मंत्रालय का कहना था कि इस सड़क के निर्माण से भारत की फौज को सीमा तक टैंक और हथियारों के साथ पहुंचने में काफी आसानी होगी और पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी. एक NGO ने 10 मीटर चौड़ी डबल लेन सड़क के निर्माण को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने देश की रक्षा जरूरतों के आधार पर सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया लेकिन पर्यावरण से जुड़ी चिंता पर नजर रखने के लिए पूर्व जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. ये कमेटी सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देगी.