
छावला गैंगरेप मामले में आरोपियों को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जोर देकर कहा गया है कि याचिकाकर्ता के तथ्यों में कोई मेरिट नहीं था, ऐसे में याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती. ये भी साफ कर दिया गया है कि पिछले फैसलों में कोई गलती नहीं थी और तथ्यों को ध्यान में रखकर ही फैसला सुनाया गया था.
बता दें कि CJI की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार अर्जी में उठाए गए मसलों पर विचार किया लेकिन कोर्ट के पिछले फैसले में कोई कसर नहीं दिखी. लिहाजा अर्जी में कोई मेरिट नहीं है. यहां ये समझना जरूरी है कि इस मामले में पुनर्विचार की पहली अर्जी दिल्ली सरकार ने दाखिल की. इसके बाद कुंवर सिंह नेगी, योगिता भयाना, उत्तराखंड बचाओ मूवमेंट और उत्तराखंड लोकमंच ने दाखिल की. लेकिन कोर्ट ने इन चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
वैसे 7 नवंबर 2022 के अपने फैसले में कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते समय विस्तृत जवाब दिया था. कहा गया था कि आरोपियों की गिरफ्तारी, उनकी पहचान, आपत्तिजनक सामग्रियां मिलने, कार की पहचान, नमूने एकत्र करने, चिकित्सकीय और वैज्ञानिक सबूत, डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट, सीडीआर से संबंधित सबूत आदि को अभियोजन पक्ष ने महत्वपूर्ण, प्रभावी तथा स्पष्ट सबूतों के जरिये साबित नहीं किया. मामले की बात करें तो फरवरी 2012 में एक युवती को अगवा कर तीन युवक ले गए. उससे गैंग रैप किया. उसकी लाश हरियाणा में खेतों से मिली. बाद में पुलिस ने रवि, राहुल और विनोद को गिरफ्तार किया. निचली अदालत और हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों को सजा ए मौत तजवीज की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया.