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मैसेज डिलीट करना या फोन फॉर्मेट करना क्राइम नहीं है.... के. कविता केस में सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान अभियोजन पक्ष (जांच एजेंसी) के आरोपों पर बहस शुरू हुई. ईडी-सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, के. कविता ने खुद को बचाने के लिए प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मोबाइल से टेक्स्ट मैसेज डिलीट कर दिए. अपने मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया और बदल दिया.

BRS नेता के. कविता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत मिल गई है. BRS नेता के. कविता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत मिल गई है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

दिल्ली एक्साइज पॉलिसी स्कैम मामले में बीआरएस नेता के. कविता (46 साल) को जमानत मिल गई है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने के. कविता को सीबीआई और ईडी दोनों ही मामलों में जमानत देने का आदेश दिया, जिसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया है. के. कविता पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और एजेंसियों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने जांच एजेंसियों पर आरोपियों को चुनने (पिक एंड चूज) के रवैये की भी आलोचना की है. जांच एजेंसियों की तरफ से तर्क दिया गया कि के. कविता ने सबूतों से छेड़छाड़ की है और अपना फोन फॉर्मेट कर दिया या बदल दिया और मोबाइल से मैसेज भी डिलीट कर दिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये कोई क्राइम नहीं है. फोन एक निजी चीज है. लोग अक्सर मैसेज डिलीज करते रहते हैं.

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के. कविता 5 महीने से तिहाड़ जेल में बंद थीं. प्रवर्तन निदेशालय ने 15 मार्च को हैदराबाद स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था. बाद में सीबीआई ने भी उन्हें 11 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था. के. कविता ने दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी थी. इससे पहले उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. एक जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने के. कविता की याचिका खारिज कर दी थी. इस फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

'खुद को बचाने के लिए मोबाइल फॉर्मेट कर दिया'

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान अभियोजन पक्ष (जांच एजेंसी) के आरोपों पर बहस शुरू हुई. ईडी-सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, के. कविता ने खुद को बचाने के लिए प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मोबाइल से टेक्स्ट मैसेज डिलीट कर दिए. अपने मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया और बदल दिया. उस फोन को अपने नौकर को दे दिया और फिर नया सेलफोन खरीद लिया. जून में जांच अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि के. कविता ने अपने आठ मोबाइल फोन से डेटा डिलीट कर दिया था और एक फोन को फॉर्मेट कर दिया था.

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'पूछताछ से 4 महीने पहले कैसे आरोप लगा सकते हैं?'

हालांकि, के. कविता ने आरोपों का खंडन किया है. वकील मुकुल रोहतगी ने आरोपों को फर्जी करार दिया और कहा, नवंबर 2022 में एक सह आरोपी के रिमांड आवेदन में प्रचारित किया गया कि मैंने अपना फोन नष्ट कर दिया है. जबकि मुझे ईडी ने पहली बार 7 मार्च 2023 को पूछताछ के लिए तलब किया था. ऐसे में आप 4 महीने पहले कैसे आरोप लगा सकते हैं? उन्होंने सवाल किया, आप कैसे कह सकते हैं कि मैंने अपने फोन से सबूत 'नष्ट' कर दिए? लोग फोन बदलते रहते हैं. मैंने अपना फोन बदल लिया और अपने कुछ पुराने फोन कर्मचारियों को दे दिए, क्योंकि उन्होंने अपने फोन को अपग्रेड किया था. के. कविता मैं अपने फोन अपग्रेड करती रही हैं. पुराना फोन अपने स्टाफ को दिया. जो लोग फोन खरीदते रहते हैं वे कुछ हफ्तों में ऐसा करते रहते हैं. वे फोन को खिलौनों की तरह बदलते रहते हैं. लोग गाड़ियां भी बदलते रहते हैं.

'यह व्यवहार साक्ष्य से छेड़छाड़ जैसा'

हालांकि, जांच एजेंसी के वकील ने तर्क दिया, आप नौकर को आईफोन क्यों देंगे? इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि के. कविता ने अपनी नौकरानी को एक नया फोन दिया था. इस तरह का व्यवहार साक्ष्य से छेड़छाड़ के बराबर है. जांच एजेंसी ने के. कविता द्वारा कथित तौर पर चार महीने तक इस्तेमाल किए गए फोन पर मैसेज हटाए जाने के बारे में चिंता जताई थी. जांच एजेंसी का कहना था कि के. कविता के फोन में डेटा नहीं मिला. जबकि इस फोन को आप चार से छह महीने तक इस्तेमाल करते रहे.

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वहीं, रोहतगी का कहना था कि के. कविता को जांच एजेंसी ने पहली बार मार्च 2024 में बुलाया था. जबकि उन्होंने चार महीने पहले फोन बदला था. इस पर ASG राजू ने कहा, जब के. कविता को पूछताछ के लिए बुलाया गया तो देखा कि उनका फोन फॉर्मेट किया गया है. उस फोन से सभी कॉल रिकॉर्ड, फेसटाइम डेटा आदि डिलीट कर दिए गए हैं. उन्होंने इस फोन को अपने किसी सहयोगी या नौकर को दे दिया है. उनका आचरण सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को धमकी देने के समान है.

'फोन निजी चीज है, लोग मैसेज हटा देते हैं'

जांच एजेंसी की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने असहमति जताई. जस्टिस केवी विश्वनाथन का कहना था कि फोन एक निजी चीज है. इसमें अन्य चीजें भी होंगी. क्या कोई किसी के साथ अपनी डिटेल शेयर करता है? लोग मैसेज हटा देते हैं. आदान-प्रदान में मैसेज को आंशिक रूप से हटाया जा सकता है. जैसे मुझे स्कूल और कॉलेज ग्रुप में भेजे गए मैसेज को हटाने की आदत है, जहां बहुत सारी चीजें डाल दी जाती हैं. ग्रुप में कई मैसेज पोस्ट होते रहते हैं. हमें सामान्य मानवीय आचरण को देखना चाहिए. इस कमरे में कोई भी ऐसा करता होगा. लोग अपने मोबाइल से मैसेज डिलीट करते रहते हैं. मुझे भी मैसेज डिलीट करने की आदत है. यह सामान्य व्यवहार है. इस कमरे में मौजूद हममें से कोई भी ऐसा करता होगा. वहीं, जांच एजेंसी ने फिर तर्क दिया कि आप कॉन्टेक्ट या हिस्ट्री डिलीट नहीं करते हैं. एएसजी ने यह भी कहा, ये रूटीन फॉर्मेटिंग नहीं था, बल्कि संवेदनशील डेटा का पूरा ड्राफ्ट था, जो साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ के बराबर है.

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'कॉल हिस्ट्री कोई नहीं हटाता है'

एएसजी राजू ने आगे कहा, लोग मैसेज तो डिलीट कर देते हैं लेकिन फोटोज, कॉन्टेक्ट और कॉल हिस्ट्री कोई नहीं हटाता है. पूछताछ में वो (के. कविता) कहती हैं कि मैंने अपना फोन किसी को दे दिया है. इस पर जस्टिस गवई ने पूछा कि क्या सबूत है कि उन्होंने साक्ष्य नष्ट कर दिए? जस्टिस विश्वनाथन ने पूछा, क्या सिर्फ इस कृत्य से ही किसी तरह का अपराध साबित हो सकता है. क्या आपके पास कोई स्वतंत्र डेटा है जो यह दर्शाता हो कि कोई अपराध साबित करने वाला सबूत था? अन्यथा इससे सिर्फ यह पता चलेगा कि सेलफोन को फॉर्मेट किया गया था. एएसजी ने जवाब दिया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) से पता चलता है कि अन्य आरोपियों के साथ उनकी बातचीत हुई है. अन्य फोन से सबूत मिले हैं जो पुष्टि करते हैं कि उन्होंने सबूत छिपाने के लिए ऐसा (फॉर्मेटिंग) किया है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया रोहतगी से सहमति जताते हुए कहा, सिर्फ मोबाइल फोन को फॉर्मेट करना कविता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला कायम करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर जमानत दी?

इससे पहले डबल बेंच ने के. कविता को जमानत देते हुए कहा, चूंकि सीबीआई-ईडी के दोनों मामलों में 493 गवाहों से पूछताछ की जानी है. 50,000 पेजों के दस्तावेजों की पड़ताल होना बाकी है. ऐसे में निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की संभावना नहीं है. दोनों मामलों में के. कविता की हिरासत की अब जरूरत नहीं है, क्योंकि दोनों एजेंसियों ने उनके खिलाफ अपनी जांच पूरी कर ली है. कोर्ट ने जमानत देते हुए शर्तें भी लगाई हैं. बेंच ने कहा, अपीलकर्ता (कविता) को दोनों एजेंसियों के मामले में 10-10 लाख रुपये के जमानती बांड भरने पर तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया. वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगी और अपना पासपोर्ट ट्रायल जज के पास जमा कराएंगी. नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होंगी.

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जब कोर्ट ने लगाई एजेंसियों को फटकार

कोर्ट में एक वक्त ऐसा आया, जब एक गवाह को लेकर सवाल-जवाब हुए और कोर्ट ने जांच एजेंसियों को कड़ी फटकार लगाई. बेंच का कहना था कि अभियोजन पक्ष (जांच एजेंसी) को निष्पक्ष होना चाहिए और किसी को भी चुनकर आरोपी नहीं बनाया जा सकता. जिस व्यक्ति ने खुद को दोषी ठहराया है, उसे गवाह बनाया गया? कोर्ट ने उस गवाह द्वारा निभाई गई भूमिका पर आश्चर्य जताया कि उसे आरोपी नहीं बनाया गया और वो गवाह बन गया. दरअसल, के. कविता की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी (दक्षिण भारतीय शराब कारोबारी) गवाह हैं. जबकि उन्होंने खुद को दोषी ठहराया था. उनके बेटे राघव मगुंटा को आरोपी बनाया गया है और फिर उसे सरकारी गवाह बना दिया गया और 7 दिन के भीतर माफ कर दिया गया. इस पर जस्टिस गवई ने कहा, इन हालात को देखकर दुख होता है. अगर उनकी कोई भूमिका है तो उनकी भूमिका कविता के बराबर ही है तो आप किसी को भी चुनेंगे? अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए. खुद को दोषी ठहराने वाला व्यक्ति गवाह बन गया. कल आप अपनी मर्जी से किसी को भी चुन (आरोपी) सकते हैं और अपनी मर्जी से किसी को भी छोड़ सकते हैं? आप किसी भी आरोपी को चुनकर नहीं रख सकते. यह निष्पक्षता क्या है? 

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तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता पर दिल्ली शराब घोटाले में शामिल होने का आरोप है. जांच एजेंसियों का दावा है कि के. कविता साउथ लॉबी (शराब कारोबारी और राजनेताओं का ग्रुप) का हिस्सा थीं. उन्होंने कथित तौर पर शराब लाइसेंस के बदले में दिल्ली की सत्तारूढ़ AAP को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी. हालांकि, के. कविता ने सभी आरोपों से इनकार किया है.

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