Advertisement

महिला ने सोते हुए पति पर खौलता लाल मिर्च का पानी डाला, HC ने अंतरिम जमानत देने से किया इनकार

हाईकोर्ट ने कहा कि यह धारणा है कि वैवाहिक संबंधों में केवल महिलाएं ही बिना किसी अपवाद के शारीरिक या मानसिक क्रूरता झेलती हैं, लेकिन कई मामलों में जीवन की कठोर वास्तविकताएं विपरीत हो सकती हैं. कोर्ट अपने समक्ष आने वाले मामलों का निर्णय रूढ़िवादिता के आधार पर नहीं कर सकते.

दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी महिला को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी महिला को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:13 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस महिला को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया जिसने अपने सोते हुए पति पर खौलता हुआ लाल मिर्च का पानी डाल दिया था. पुलिस ने महिला के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है. कोर्ट ने कहा कि जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली शारीरिक चोटों के मामले में आपराधिक कानून जेंडर न्यूट्रल हैं.

Advertisement

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, 'निष्पक्ष और न्यायपूर्ण न्याय प्रणाली की पहचान, वर्तमान मामले जैसे मामलों में निर्णय देते समय जेंडर न्यूट्रल रहना है. यदि कोई महिला ऐसी चोटें पहुंचाती है, तो उसके लिए कोई स्पेशल क्लास नहीं बनाया जा सकता. जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली शारीरिक चोटों से जुड़े अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला, क्योंकि जेंडर की परवाह किए बिना हर शख्स का जीवन और सम्मान समान रूप से कीमती है.'

यह भी पढ़ें: MP: पति की प्रताड़ना से तंग आकर बच्चों के साथ नदी में कूदी महिला, तीन की मौत, एक लापता

हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

हाईकोर्ट ने कहा कि यह धारणा है कि वैवाहिक संबंधों में केवल महिलाएं ही बिना किसी अपवाद के शारीरिक या मानसिक क्रूरता झेलती हैं, लेकिन कई मामलों में जीवन की कठोर वास्तविकताएं विपरीत हो सकती हैं. कोर्ट अपने समक्ष आने वाले मामलों का निर्णय रूढ़िवादिता के आधार पर नहीं कर सकते. एक जेंडर का सशक्तिकरण और उसकी सुरक्षा दूसरे जेंडर के प्रति निष्पक्षता की कीमत पर नहीं हो सकती. जिस तरह महिलाओं को क्रूरता और हिंसा से सुरक्षा मिलनी चाहिए, उसी तरह पुरुषों को भी कानून के तहत समान सुरक्षा मिलनी चाहिए. अन्यथा सुझाव देना समानता और मानवीय गरिमा के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन होगा.'

Advertisement

पुरुषों के साथ हो समान व्यवहार

अदालत ने कहा, 'यह मामला एक व्यापक सामाजिक चुनौती को भी उजागर करता है. अपनी पत्नियों के हाथों हिंसा के शिकार होने वाले पुरुषों को अक्सर अनोखी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें सामाजिक अविश्वास और पीड़ित के रूप में देखे जाने से जुड़ा कलंक शामिल है. इस तरह की रूढ़िवादिता इस गलत धारणा को बढ़ावा देती है कि पुरुष घरेलू रिश्तों में हिंसा का शिकार नहीं हो सकते. इसलिए, न्यायालयों को ऐसे मामलों में जेंडर न्यूट्रल दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचानना चाहिए, यह सुनिश्चित करके कि पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाए.'

यह भी पढ़ें: सिस्टम ने ली AI इंजीनियर की जान या पत्नी की प्रताड़ना से था परेशान? जांच के लिए जौनपुर पहुंची बेंगलुरु पुलिस

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement