
दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के छात्रों को प्रवेश देने से इनकार करने के मामले में सुनवाई की. इस दौरान HC ने निजी स्कूलों और दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को जमकर फटकार लगाई.
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने आदेश दिया कि शिक्षा निदेशालय को उन स्कूलों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए जो RTE अधिनियम के उल्लंघन में लिप्त पाए गए हैं. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश पाने के अपने अधिकार को पाने में सक्षम नहीं हैं.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (DOE) को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम को अक्षरश: लागू किया जाए, ताकि ईडब्ल्यूएस को उचित प्रतिनिधित्व मिले. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता अभी भी हमसे दूर है. कोर्ट ने कहा कि यह सही समय है कि न्यायपालिका कदम उठाए, क्योंकि लोग अपने मौलिक अधिकारों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सीडी सिंह की बेंच ने कहा कि अब समय आ गया है कि न्यायपालिका लोगों तक पहुंचे, न कि लोगों के न्यायपालिका तक पहुंचने का इंतजार करें. क्योंकि गरीब बच्चों को शिक्षा के मौलिक अधिकार का लाभ उठाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
कोर्ट ने उन छात्रों द्वारा दायर 39 याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि गरीब बच्चे अपने माता-पिता के साथ पूरी प्रॉसेस का पालन करने के बावजूद दर-दर भटकने के लिए मजबूर होते हैं और उन्हें अपमानित किया जाता है. कोर्ट ने कहा कि इन बच्चों ने कोई और अपराध नहीं किया है, लेकिन ये गरीबी में पैदा हुए हैं.
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