
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने मुख्य आरोपित और आप के पूर्व पार्षद रहे ताहिर हुसैन समेत दस लोगों को आईपीसी की धारा 436 से मुक्त कर दिया है. इस धारा के तहत उनके ऊपर अचल में आग लगाने या विस्फोटक के इस्तेमाल करने का आरोप था. कोर्ट ने पाया कि अचल संपत्ति में आग नहीं लगी थी. हालांकि दंगा, हत्या समेत बाकी आरोपों पर विचार के लिए मामले को सीएमएम न्यायालय भेज दिया है.
दंगे के आरोपियों पर अभी आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 427, 120बी + सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 और 4, धारा 147 (दंगा), धारा 148 (घातक हथियार से दंगा करना), धारा 149 (विधिविरुद्ध जमाव), धारा 427 (नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत सीएमएम कोर्ट में सुनवाई चलेगी.
हिंदुओं को टारगेट करना था ताहिर का मकसद: जज
दिल्ली दंगों के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट 14 अक्टूबर को ताहिर हुसैन और बाकी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 147, 148, और 153 A, 120 B के तहत आरोप तय किया था.
एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने अपने आदेश में कहा था, “ताहिर हुसैन के घर पर इकट्ठा हुई हथियारबंद भीड़ का मकसद हिंदुओं को टारगेट कर मारना और उनकी संपत्ति को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना था.”
इसी मकसद से ताहिर हुसैन के घर हथियारबंद भीड़ इकट्ठा हुई. पेट्रोल बम इकट्ठा किए गए. भीड़ एक-दूसरे को हिंदुओं को टारगेट करने के लिए उकसा रही थी. जाहिर है कि ऐसी सूरत में सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलना चाहिए.
2017 में AAP के टिकट से पार्षद बना था ताहिर
ताहिर हुसैन 2017 के MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीता था, लेकिन फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में ताहिर हुसैन का नाम बतौर साजिशकर्ता और आरोपी आया. इसके बाद आम आदमी पार्टी ने ताहिर हुसैन को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने 20 अगस्त 2020 को ताहिर की सदस्यता खत्म कर दी थी.
2020 के दंगों में 53 लोगों की हो गई थी मौत
उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को अचानक दंगे भड़क गए थे. दंगाग्रस्त क्षेत्रों की सड़कों पर सांप्रदायिक नफरत की आग भड़क उठी थी. इन दंगों के दौरान 53 लोगों की जान गई थी. वहीं, सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे. यह दंगे उस दौरान हुए जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर थे. उमर खालिद पर भी वाट्सएप ग्रुप के जरिए दंगा भड़काने का आरोप है.