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दिल्लीः कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ को लेकर साकेत कोर्ट में सुनवाई, 17 सितंबर को होगा ये फैसला

कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ के मामले में मंगलवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ का दावा करते हुए याचिका दाखिल की थी. उनके वकील ने कहा कि हम इस मामले में पक्षकार बनना चाहते हैं. कोर्ट इस मामले में 17 सितंबर को तय करेगा कि महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई की जाए या नहीं.

कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ को लेकर सुनवाई हुई कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ को लेकर सुनवाई हुई
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ के मामले में मंगलवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई में कोर्ट ने महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील ML शर्मा से याचिका की मेंटेबिलिटी पर दलील देने को कहा. इस पर एमएल शर्मा ने कहा कि सरकार ने 1947 में बिना हमारी इजाज़त के पूरी प्रॉपर्टी अपने कब्जे में ले ली थी. दरअसल, कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने कुतुब मीनार पर मालिकाना हक़ का दावा करते हुए याचिका दाखिल की थी. कोर्ट इस मामले में 17 सितंबर को तय करेगा कि महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई की जाए या नहीं. 

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कोर्ट ने मालिकाना हक को लेकर कहा कि कुछ लोग वहां पूजा के अधिकार की मांग कर रहे हैं. आपके पास न अभी कब्ज़ा है, न ही आप कभी कोर्ट आए हैं. इस पर एमएल शर्मा ने दलील दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1960 में याचिका दाखिल की थी. वो अभी लंबित है. पीएम, राष्ट्रपति को भी इस मामले में पत्र लिखा है. अगर अलग राज्यों में ये संपत्ति सरकार के कब्जे में है, तो हम सभी राज्यों और वहां की अदालतों में नहीं जा सकते. इसलिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था.

'हम तो बस पार्टी बनना चाहते हैं'

महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की ओर से पेश हुए वकील एमएल शर्मा ने कहा कि हम इस मामले में पक्षकार बनना चाहते हैं. कोर्ट ने पूछा कि क्या हम आपको पार्टी बनाए बिना ही पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर फैसला सुना सकते हैं. इस पर शर्मा ने कहा कि ASI ने अपने जवाब में यह नहीं बताया है कि कैसे उन्होंने इस संपत्ति को अपने कब्जे में लिया. हम उस संपत्ति पर अधिकार की रक्षा करना चाहते हैं. कोर्ट ने पूछा कि आप राष्ट्रपति के पास जाने के बजाए सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए? क्या आपने सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं में कभी पक्षकार बनने के लिए अर्जी लगाई? इस पर शर्मा ने कहा कि हम पूजा का अधिकार नहीं मांग रहे हैं. हम तो बस पार्टी बनना चाहते हैं. 

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पहले नहीं की अधिकार की मांग

वहीं पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 1947 में शायद यह 3 साल के रहे होंगे. लेकिन 18 साल का होने के बाद भी कोर्ट में कुतुबमीनार पर अपने अधिकार की मांग नहीं की. यहां पर इस तरह से याचिका दाखिल नहीं कर सकते हैं.

पुराने मामलों का दिया हवाला

वकील अमिता सचदेवा ने लाल किले पर दावा करने वाली महिला की याचिका के फैसले का भी ज़िक्र किया. जिसमें महिला ने बहादुरशाह जफर के खानदान से होने का दावा किया था. लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. साथ ही कहा कि कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका को भारी जुर्माना के साथ खरिज कर दिया जाए.

याचिका खारिज करने की मांग

कोर्ट में  ASI ने दलील दी कि महेंद्र प्रसाद के दावे ने लिमिटेशन पीरियड भी क्रॉस कर लिया है. इसलिए इनकी याचिका खारिज की जानी चाहिए.  ASI के वकील ने कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुलतान बेगम ने लाल किले पर मालिकाना हक का दावा किया था, उस याचिका का हमने दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया था. तब भी कोर्ट ने माना था कि याचिका में की गई मांग का कोई आधार नहीं बनता है. लिहाजा याचिका को खारिज कर दिया था. इसी तरह कुतुबमीनार पर मालिकाना हक़ का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका खारिज की जाए. 

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