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Explainer: तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गुजारा भत्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का क्या होगा असर?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर फैसला सुनाया है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि जब तक महिला दूसरी शादी नहीं कर लेती, तब तक उसे गुजारा भत्ता दिया जाएगा.

दोबारा शादी करने तक तलाकशुदा मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. (फाइल फोटो-PTI) दोबारा शादी करने तक तलाकशुदा मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:17 PM IST
  • 15 साल पुराने मामले पर HC का फैसला
  • Crpc की धारा 125 के तहत अधिकार

तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के भत्ते को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने एक मामले पर फैसला देते हुए कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. उसे ये गुजारा भत्ता तब तक मिलेगा, जब तक वो दोबारा शादी नहीं कर लेती. 

हाईकोर्ट के जज जस्टिस केएस पवार ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. हाईकोर्ट ने ये आदेश सोमवार को दिया. कोर्ट ने ये फैसला एक मुस्लिम महिला की याचिका पर सुनाया.

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सीआरपीसी की धारा 125 में तलाकशुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है. इसके मुताबिक, तलाकशुदा महिला जब तक दूसरी शादी नहीं कर लेती, तब तक वो अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. 

क्या था मामला?

- एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला ने अपने और अपने दो नाबालिग बच्चों के गुजारे के लिए पति से भत्ता लेने के लिए ट्रायल कोर्ट का रूख किया था. 23 जनवरी 2007  को ट्रायल कोर्ट ने पति को महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. 

- ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को पति ने प्रतापगढ़ में एडिशनल सेशन जज के सामने चुनौती दी. एएसजे ने 11 अप्रैल 2008 को ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया. कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी दोनों मुस्लिम हैं, इसलिए मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डायवोर्स) एक्ट, 1986 लागू होता है, लिहाजा महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है.

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- एएसजे के फैसले को महिला ने 2008 में हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने महिला की याचिका पर फैसला देते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया. साथ ही कहा कि महिला ने जिस दिन ट्रायल कोर्ट में अर्जी दी थी, उसी दिन से उसे और उसके बच्चों को गुजारा भत्ता दिया जाए.

ये भी पढ़ें-- Explainer: मैरिटल रेप पर पति के खिलाफ हो सकता है केस... पति-पत्नी के संबंधों और यौन अपराध पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कुछ कहा

हाईकोर्ट के फैसले का कितना बड़ा असर?

- जैसा कि इस मामले में हुआ. कई मामलों में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता नहीं मिल पाता है. या मिलता है तो भी इद्दत की अवधि तक.

- इद्दत एक इस्लामिक परंपरा है. इसके अनुसार, अगर किसी महिला को उसका पति तलाक दे देता है या उसकी मौत हो जाती है तो महिला 'इद्दत' की अवधि तक दूसरी शादी नहीं कर सकती. 

- इद्दत की अवधि करीब 3 महीने तक रहती है. ये अवधि पूरा होने के बाद तलाकशुदा मुस्लिम महिला दूसरी शादी कर सकती है. 

- लेकिन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये भी साफ किया है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला इद्दत की अवधि के बाद भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है और उसे ये भत्ता तब तक मिलता रहेगा, जब तक वो दूसरी शादी नहीं कर लेती.

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