
उत्तराखंड के बहुचर्चित फेक रणवीर एनकाउंटर में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय आया है. कोर्ट ने इंस्पेक्टर संतोष कुमार जायसवाल, सब इंस्पेक्टर नितिन चौहान, नीरज यादव, जीडी भट्ट और कांस्टेबल अजीत को जमानत दे दी है. देहरादून में साल 2008-09 में रणवीर एनकाउंटर मामले में पुलिसवालों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.
गौरतलब है कि 3 जुलाई 2009 को पुलिसकर्मियों ने इस फर्जी एनकाउंटर (Fake Encounter) को अंजाम दिया. पुलिस ने गाजियाबाद के रहने वाले 22 साल के एमबीए के छात्र रणवीर सिंह की देहरादून में गोली मारकर हत्या कर दी थी और इसे एनकाउंटर का रंग देने की कोशिश की थी.
पुलिस हालांकि कोर्ट में यह साबित करने में नाकाम रही थी कि रणवीर वहां किसी वारदात को अंजाम देने पहुंचा था. निचली अदालत ने 18 पुलिसकर्मियों को इस फर्जी एनकाउंटर का दोषी पाया था, हालांकि हाईकोर्ट ने 11 पुलिस वालों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था. इस मामले में सात पुलिसकर्मी दोषी करार दिए गए थे.
रणवीर के पिता रवींद्र सिंह की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था. रवींद्र सिंह ने हालांकि हाईकोर्ट के फैसले पर दुख जाहिर किया था.
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों में डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर एसके जायसवाल, जीडी भट्ट, अजीत सिंह, नितिन चौहान, राजेश बिष्ट, नीरज यादव और चंद्रमोहन शामिल थे.
वहीं सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेन्द्र राठी, संजय रावत, दारोगा इंद्रभान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुंसाई और मनोज कुमार को बरी कर दिया था.
रणवीर को मारी थी 22 गोलियां
इस कथित फर्जी मुठभेड़ में पुलिस ने रणवीर पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं. उस समय पुलिस ने मुठभेड़ में 29 राउंड फायरिंग किए जाने का दावा किया था. पांच जुलाई 2009 को आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की पोल-पट्टी खोल दी थी. मृतक के शरीर में 22 गोलियों के निशान पाए गए थे.
शरीर में आई चोटों से हुआ था खुलासा
रणवीर के शरीर पर मिले चोटों के गहरे निशान से हकीकत का खुलासा हुआ था. यही नहीं रणवीर के शरीर पर 28 चोट के निशान मिले थे. एक्सपर्ट्स का कहना था कि यह चोटें मुठभेड़ में तो नहीं लगी होंगी.