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PFI के पूर्व चीफ ने हेल्थ इश्यू बताकर मांगी जमानत, कोर्ट ने कहा- इन्हें उचित इलाज मुहैया कराएं

PFI मुस्लिम संगठनों के मिलकर बना एक संगठन है. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है.

दिल्ली हाई कोर्ट. दिल्ली हाई कोर्ट.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST

प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है. अबूबकर की याचिका पर दिल्ली HC ने नोटिस जारी कर मेडिकल सुपरिटेंडेंट को उचित इलजा मुहैया कराने के लिए कहा है. अबूबकर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में 13 मार्च सुनवाई की तारीख तय की है.

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बता दें कि अबूबकर पर आतंकियों को फंडिंग के मामले में UAPA के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है. वहीं, अलगाववादी नेता नईम अहमद खान की जमानत अर्जी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने NIA को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जुलाई 2017 में नईम अहमद खान को कश्मीर घाटी में अशान्ति फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तब से वह जेल में बंद है.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है.

हालांकि, PFI दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया गया. ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष. PFI की अपनी यूनिफॉर्म भी है. हर साल 15 अगस्त को PFI फ्रीडम परेड का आयोजन करता है. गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली, आंध्र,प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश में PFI सक्रिय है.

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जांच एजेंसियों के रडार पर क्यों रहा है PFI?

PFI को अगर विवाद का दूसरा नाम कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. PFI के कार्यकर्ताओं पर आतंकी संगठनों से कनेक्शन से लेकर हत्याएं तक के आरोप लगते हैं. 2012 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि हत्या के 27 मामलों से PFI का सीधा-सीधा कनेक्शन है. इनमें से ज्यादातर मामले RSS और CPM के कार्यकर्ताओं की हत्या से जुड़े थे.

जुलाई 2012 में कन्नूर में एक स्टूडेंट सचिन गोपाल और चेंगन्नूर में ABVP के नेता विशाल पर चाकू से हमला हुआ. इस हमले का आरोप PFI पर लगा. बाद में गोपाल और विशाल दोनों की ही मौत हो गई. 2010 में PFI के SIMI से कनेक्शन के आरोप भी लगे. उसकी वजह भी थी. 

दरअसल, उस समय PFI के चेयरमैन अब्दुल रहमान थे, जो SIMI के राष्ट्रीय सचिव रहे थे. जबकि, PFI के राज्य सचिव अब्दुल हमीद कभी SIMI के सचिव रहे थे. उस समय PFI के ज्यादातर नेता कभी SIMI के सदस्य रहे थे. हालांकि, PFI अक्सर SIMI से कनेक्शन के आरोपों को खारिज करता रहा है.

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