Advertisement

गोदरेज कंपनी ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को बताया गैरकानूनी, कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड ने बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने बुलेट ट्रेन से जुड़े मामले में हलफनामा दायर किया है. कंपनी ने राज्य सरकार और नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन किया है कहा है कि यह भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा पैदा कर रहे थे और इसलिए परियोजना में देरी हो रही है.

बुलेट ट्रेन (फाइल फोटो) बुलेट ट्रेन (फाइल फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 11 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:39 AM IST

मशहूर बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर सरकार और गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड के बीच झगड़ा चल रहा है. इस झगड़े में कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने कहा कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू की गई भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही गैरकानूनी है.

गोदरेज ने राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को 'गैरकानूनी' करार दिया और दावा किया कि इस प्रक्रिया में कई और पेटेंट अवैधताएं थीं. कंपनी ने राज्य सरकार और नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन किया है कि यह भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा पैदा कर रहे थे और इसलिए परियोजना में देरी हो रही थी. गोदरेज ने कहा कि राज्य और एनएचएसआरसीएल ने अधिग्रहण की प्रक्रिया में काफी देरी की है.

Advertisement

कंपनी ने दाखिल किया हलफनामा

हलफनामे में कहा गया है, 'प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता (गोदरेज) को अधिग्रहण की कार्यवाही में देरी का श्रेय देने का प्रयास दुर्भावनापूर्ण, विकृत और अक्षम्य है.' हलफनामे में कहा गया है कि अधिकारी उचित मुआवजा अधिनियम की अनिवार्य वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं. कंपनी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत का विवरण देने वाली कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की गई थी और इसलिए निर्णय लेने की पूरी प्रक्रिया कानून की दृष्टि में खराब थी. इसमें कहा गया है कि 264 करोड़ रुपये की अंतिम मुआवजा राशि भूमि अधिग्रहण के लिए कंपनी को दी गई, वो शुरुआती 572 करोड़ रुपये का एक अंश थी. हलफनामे में कहा गया है, 'विचाराधीन जमीन के उचित बाजार मूल्य का आकलन करते समय दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

Advertisement

बता दें कि कंपनी ने पहले बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा देने के महाराष्ट्र सरकार द्वारा पारित 15 सितंबर, 2022 के एक आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. सरकार और एनएचएसआरसीएल दोनों ने याचिका का विरोध किया था. गुरुवार को कंपनी ने सरकार और NHSRCL के हलफनामों के जवाब में जस्टिस नितिन जामदार और शर्मिला देशमुख की बेंच के सामने अपना प्रत्युत्तर हलफनामा पेश किया.

कंपनी ने अपनी याचिका में मांग की थी कि उच्च न्यायालय राज्य सरकार को आदेश पारित करे और कब्जे की कार्यवाही शुरू करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दे. सरकार 2019 से बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई के विक्रोली इलाके में कंपनी के स्वामित्व वाली जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है. मुंबई और अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर रेल ट्रैक में से लगभग 21 किलोमीटर भूमिगत होने की योजना है. भूमिगत सुरंग के प्रवेश बिंदुओं में से एक विक्रोली (गोदरेज के स्वामित्व वाली) में भूमि पर पड़ता है. अदालत 21 नवंबर को मामले में आगे की दलीलें सुनेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement