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ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा के अधिकार की मांग को लेकर SC में अर्जी, 21 जुलाई को होगी सुनवाई

ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की पूजा के अधिकार की मांग को लेकर अब सात महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है.

ज्ञानवापी में मिला कथित शिवलिंग ज्ञानवापी में मिला कथित शिवलिंग
संजय शर्मा/अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST
  • याचिकाकर्ता की मांग- ज्ञानवापी का हो GPR सर्वे
  • सुप्रीम कोर्ट में 21 जुलाई को होगी याचिका पर सुनवाई

वाराणसी का ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस फिर से चर्चा में आ गया है. ज्ञानवापी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर हुई है. अब एक वकील, एक प्रोफेसर और पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत सात महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की पूजा का अधिकार देने की मांग करते हुए कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है.

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सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए भी तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ये भी मांग की गई है कि जीपीएस यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सिस्टम के जरिये ज्ञानवापी परिसर की भूमिगत परिस्थिति का पता लगाने का आदेश कोर्ट दे. ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग भी कराई जाए जिससे उसकी प्राचीनता का पता चल सके.

याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक जीपीएस इस पूरे परिसर को इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रडार के जरिए जांचने का सबसे सुरक्षित सटीक और वैज्ञानिक तरीका है. उन्होंने ये भी कहा कि जीपीएस में किसी चीज से छेड़छाड़ किए बिना तथ्य जुटाए जा सकते हैं. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से ये भी गुहार लगाई गई है कि सनातन धर्मियों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए ज्ञानवापी से मिले कथित शिवलिंग को विश्वनाथ मंदिर के पास स्थापित किया जाए.

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उन्होंने ये भी कहा कि इस कथित शिवलिंग की पूजा-अर्चना और उपासना की इजाजत काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को दी जाए. याचिकाकर्ताओं की ओर से ये भी दलील दी गई है कि विश्वनाथ मंदिर के चारों ओर पांच कोस यानी लगभग 15 किलोमीटर का इलाका काशी के अधिष्ठाता देव विश्वेश्वर का क्षेत्र है. यूपी के श्रीकाशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट 1983 के मुताबिक भी ये अधिकार ट्रस्ट को दिया जाना चाहिए जिससे श्रद्धालुओं के अपने आराध्य की उपासना के मौलिक अधिकार की भी रक्षा होगी.

विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में ये दलील भी दी कि मंदिर के कुछ हिस्से को गिराकर उसे मस्जिद में बदलने की कवायद तो हुई लेकिन मस्जिद घोषित करने का मूल काम नहीं हुआ. उसे मस्जिद घोषित करने से पहले इसे वक्फ घोषित नहीं किया गया क्योंकि आदि विश्वेश्वर के अलावा इस पर किसी का मालिकाना हक नहीं था. उन्होंने कहा कि इस जमीन और संपत्ति पर आदि विश्वेश्वर का अधिकार बरकरार है. अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी इस बात की तस्दीक करता है कि देवता ज्यूरिस्ट पर्सन हैं.

 

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