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हेट स्पीच केस: बीजेपी नेता अन्नामलाई को सुप्रीम कोर्ट से राहत, कानूनी कार्यवाही पर सितंबर तक लगाई रोक

मामला इस आरोप से शुरू हुआ कि अन्नामलाई ने 2022 की दिवाली से दो दिन पहले एक यूट्यूब चैनल के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि हिंदू संस्कृति के खिलाफ त्योहार के दौरान पटाखे फोड़ने को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती देने के पीछे एक ईसाई एनजीओ का हाथ था. अन्नामलाई ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने मामले में उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

बीजेपी नेता के अन्नामलाई (फाइल फोटो) बीजेपी नेता के अन्नामलाई (फाइल फोटो)
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई को हेट स्पीच केस में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने 22 अक्टूबर, 2022 को एक इंटरव्यू के दौरान ईसाइयों के खिलाफ विवादित बयान देने के मामले में लगी रोक सितंबर तक बढ़ा दी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के खिलाफ उस शिकायत पर आपराधिक कार्यवाही पर रोक को सितंबर तक बढ़ा दिया, जिसमें उन पर नफरत फैलाने वाले भाषण का आरोप लगाया गया था. 

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के अन्नामलाई ने इंटरव्यू में कहा था कि शीर्ष अदालत में दिवाली के दौरान पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका के पीछे एक ईसाई मिशनरी एनजीओ का हाथ है. उनके इस बयान के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. बीजेपी नेता ने इसके खिलाफ मदरास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

मामला इस आरोप से शुरू हुआ कि अन्नामलाई ने 2022 की दिवाली से दो दिन पहले एक यूट्यूब चैनल के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि हिंदू संस्कृति के खिलाफ त्योहार के दौरान पटाखे फोड़ने को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती देने के पीछे एक ईसाई एनजीओ का हाथ था. अन्नामलाई ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने मामले में उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था. 

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हाईकोर्ट ने कहा था कि नफरत भरे भाषण की परिभाषा के तहत किसी व्यक्ति या समूह पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर भी विचार किया जाना चाहिए. फरवरी में, शीर्ष अदालत ने अन्नामलाई की याचिका स्वीकार कर ली थी और यह कहते हुए आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी कि प्रथम दृष्टया उन्होंने कोई घृणास्पद भाषण नहीं दिया है. 

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