
पिछले कई सालों से विपक्ष लगातार ईवीएम का मुद्दा उठाता रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर ये मुद्दा सामने आ गया है. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका लगाकर मांग की गई है कि ईवीएम और वीवीपैट के वोटों की 100 फीसदी गिनती और मिलान किया जाना चाहिए.
ईवीएम के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता की तरफ से वकील प्रशांत भूषण भी मौजूद रहे. इस दौरान प्रशांत भूषण और सर्वोच्च अदालत की बेंच के बीच रोचक चर्चा हुई. आइए इन 5 पॉइंट्स के जरिए जानते हैं कि आखिर कोर्ट और प्रशांत भूषण के बीच क्या चर्चा हुई.
क्यों लगाई गई थी याचिका
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका किस मांग को लेकर लगाई गई थी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपीएटी के मतों की 100 फीसदी गिनती और मिलान अनिवार्य तौर पर करने के लिए जनहित याचिका लगाई गई थी.
प्रशांत भूषण और बेंच के बीच हुई रोचक चर्चा
1. निजी सर्वे पर विश्वास नहीं करता कोर्ट
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से पूछा,'आपने कहा कि ज्यादातर मतदाता EVM पर भरोसा नहीं करते? आपको यह डेटा कैसे मिला?' इस पर प्रशांत भूषण ने एक निजी सर्वे का जिक्र किया. जवाब में जस्टिस दत्ता ने कहा,'हम निजी सर्वे पर विश्वास नहीं करते.'
2. प्राइवेट कंपनी बनाए EVM तो...
एक वकील ने आरोप लगाया कि ईवीएम को पब्लिक सेक्टर यूनिट की कंपनियां बनाती हैं, जो सरकार के नियंत्रण में होती हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या प्राइवेट कंपनी EVM बनाएगी तो आप खुश होंगे?
3. वीवीपैट के मिलान पर क्यो बोला कोर्ट
सुनवाई के दौरान वकील संजय हेगड़े ने मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या 60 करोड़ VVPAT पर्चियों की गिनती होनी चाहिए?
4. क्यों नहीं काम करेगी बारकोड व्यवस्था
एक वकील ने वोट देने के लिए बारकोड सुविधा करने का सुझाव दिया. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो वहां बारकोड होता है. बारकोड से गिनती में मदद नहीं मिलेगी, जब तक कि हर उम्मीदवार या पार्टी को बारकोड न दिया जाए. यह भी एक बहुत बड़ी समस्या होगी.
5. यूरोप के उदाहरण काम नहीं आते
याचिकाकर्ता के वकील ने जर्मनी के सिस्टम का उदाहरण दिया. इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी ज्यादा है. हमें किसी पर भरोसा और विश्वास जताना होगा. इस तरह से व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश मत करो! इस तरह के उदाहरण मत दो. यह एक बहुत बड़ा काम है. यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं आते.