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'आलोचना लोकतंत्र की खूबसूरती, लेकिन हर चीज की मर्यादा होती है', बोले देश के अगले CJI यूयू ललित

जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice UU Lalit) देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे. वह देश के 49वें चीफ जस्टिस बनने जा रहे हैं. वह 27 अगस्त से देश के मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं.

जस्टिस उदय उमेश ललित देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे (फाइल फोटो) जस्टिस उदय उमेश ललित देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:29 PM IST

जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice UU Lalit) देश के 49वें चीफ जस्टिस बनने जा रहे हैं. चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल सिर्फ 74 दिन का होगा, इसपर Justice UU Lalit ने कहा कि कार्यकाल लंबा ना भी हो तो बड़ा होना चाहिए. आज तक से बात करते हुए जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि इतिहास में कदम और काम दर्ज होते हैं जिनसे वह कार्यकाल बनता है.

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बातचीत में जस्टिस ललित ने कहा कि गरीबों और वंचित वर्ग के लोगों को सस्ता, सुलभ और शीघ्र न्याय मिलने के इंतजाम करना ही उनकी प्राथमिकता और लक्ष्य होगा.

सोशल मीडिया पर सरकार के साथ-साथ न्यायपालिका भी निशाने पर होती है. इससे जुड़े सवाल पर जस्टिस ललित ने कहा कि बहस, तर्क और आलोचना यह तो किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र की खूबसूरती हैं, लेकिन हर चीज की मर्यादा होती है. कोर्ट के किसी भी आदेश या फैसले को आलोचना तर्क और अनुसंधान से निकाले गए तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए. फैसलों से परे जाकर सभी जज या न्यायपालिका की आलोचना उचित नहीं है.

जस्टिस ललित ने आगे कहा कि जहां तक ज्यूडिशियल एक्टिविज्म की बात है तो कई मामलों में कोर्ट ने क्रांतिकारी और मील के पत्थर माने जाने वाले फैसले दिए हैं और कानून की व्याख्या के क्रम में ये अहम हैं.

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27 अगस्त से देश के मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी संभालने जा रहे जस्टिस ललित ने इस बात से भी इनकार किया कि उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका में कोई मतभेद या फिर खींचतान है. उन्होंने कहा कि ये सतत चलने वाली सामंजस्यपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें चेक और बैलेंस यानी संतुलन जरूरी है.

सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग में कोई हर्ज नहीं- जस्टिस ललित

बातचीत में जस्टिस ललित ने बेबाकी से कहा कि कोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग में कोई हर्ज नहीं है. अभी भी खुली अदालत में कोई भी आ-जा सकता है. दो सालों में इसका सीमित प्रसारण हुआ भी है, अब उसे विस्तार देने की बात है.

जस्टिस ललित बोले कि पारिवारिक या फिर अति संवेदनशील मामले जिनमें बंद कमरों में सुनवाई होती है यानी इन कैमरा प्रोसिडिंग के मामलों को छोड़ दें तो लाइव प्रसारण करने की संभावनाओं पर काफी काम हुआ है, लेकिन उसमें अभी थोड़ा वक्त लग सकता है.

 

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