
देशभर के हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में सरकार की लेट लतीफी और लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से केंद्र सरकार झुकी है. हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए भेजे 70 नाम केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजे. मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति को केंद्र तैयार हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फिर चेताया कि हमें असमंजस में नहीं रहना चाहिए.
यदि नाम सुझाए गए हैं तो या तो नियुक्ति करें या आप उन्हें अपनी चिंताओं या आपत्तियों के साथ हमें पुनर्विचार के लिए वापस भेजें. कोलेजियम ने जो नाम दोहराए हैं उनकी या तो नियुक्ति हो या फिर हमें यानी कॉलेजियम को बताया जाए कि नियुक्ति क्यों लटकी हुई है. सुप्रीम कोर्ट अब 20 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
पिछले महीने 26 सितंबर को देशभर के सभी हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैए पर सख्ती दिखाई थी. तब जस्टिस कौल ने कहा कि हम इस मामले में हर दस दिन पर निगरानी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने बीते दस महीने में 80 नामों की सिफारिश की लेकिन उनके आधार पर सारी नियुक्तियां केंद्र सरकार ने लटकाई हुई हैं. सारी सिफारिशें केंद्र के पास लंबित हैं. कई हाईकोर्ट में कार्यरत 26 जजों के तबादले लंबित हैं. जबकि कई महत्वपूर्ण और बड़े व संवेदनशील हाईकोर्ट में स्थायी चीफ जस्टिस की नियुक्ति भी लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने ऐसे 7 नाम दोहराए हैं. लेकिन सरकार ने उनको भी बिना कोई प्रतिक्रिया दिए लंबित रखा हुआ है. वैसे तो इस रवैए पर हम बहुत कुछ कहना चाहते हैं. लेकिन हम खुद पर जब्त कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल आर वेकेंटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए हफ्ते भर की मोहलत मांगी. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया को पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वो इस मुद्दे पर केंद्र से निर्देश लेकर आएं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्तियों में केंद्र की ओर से लगातार की जा रही देरी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है.