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'राज्य में कानून-व्यवस्था स्थापित करना सेना का काम नहीं', जम्मू-कश्मीर पर सुनवाई के दौरान बोले जस्टिस कौल

पांच जजों की बेंच ने आज जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के मामले में फैसला सुनाया. फैसले के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने अपनी राय देते हुए एक भावुक बात कही. उन्होंने अपने फैसले में लिखा कि कश्मीर घाटी पर ऐतिहासिक बोझ है. जम्मू-कश्मीर के लोग बहस के केंद्र में हैं.

नलिनी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है. सर्वोच्च अदालत ने यह बात मानी है कि राष्ट्रपति का फैसला संवैधानिक तौर पर वैध था. अदालत ने इस दौरान कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी था और संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में भी लागू होंगे.

बहस के केंद्र में J-K के लोग

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल-370 पर राष्ट्रपति को फैसला लेने का पूरा हक है. इस दौरान पांच जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाया. फैसले के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने अपनी राय देते हुए एक भावुक बात कही. उन्होंने अपने फैसले में लिखा कि कश्मीर घाटी पर ऐतिहासिक बोझ है. जम्मू-कश्मीर के लोग बहस के केंद्र में हैं.

महिलाओं-बच्चों ने चुकाई कीमत

उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सेना की भूमिका पर कहा कि सेनाएं दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए होती हैं ना कि राज्य में कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए. उन्होंने आगे कहा कि सेना के प्रवेश से राज्य में अपनी जमीनी हकीकत पैदा की. इसकी कीमत पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को चुकानी पड़ी है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

> राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक. आर्टिकल 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था.

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> संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं. ये फैसला जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था.

> अनुच्छेद 370 हटाने में कोई दुर्भावना नहीं थी.

> जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं. 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव हों.

> जम्मू कश्मीर में जल्द राज्य का दर्जा बहाल हो.

> आर्टिकल 370 एक अस्थाई प्रावधान था. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. जम्मू कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी.

> सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लद्दाख को अलग करने का फैसला वैध था.

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