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हत्या के जुर्म में 20 साल से कैद करुणा शंकर की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

करुणा शंकर को 1982 में हुई हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. अदालतों के चक्कर काटने के बाद 15 साल की सजा पूरी होने के बाद उसने रिहाई के लिए क्षमा याचिका लगाई.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

हत्या के जुर्म में लगभग 20 साल से जेल में सजा काट रहे 68 साल के करुणा शंकर की रिहाई के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को एक महीने में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. तीन साल से राज्य सरकार ने करुणा शंकर की दया याचिका पर अपनी करुणा नहीं दिखाई है. यानी उसकी फाइल पर तीन साल से कोई कार्यवाही ही नहीं हुई.

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उत्तर प्रदेश सरकार के इस रवैए से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य में हालात ठीक नहीं हैं.यूपी में उन्नाव निवासी करुणा शंकर 19 साल चार महीने से जेल में है. जबकि उनकी बाकी सजा माफी के लिए दया याचिका भी लगभग साढ़े तीन साल से राज्य सरकार के पास लंबित है. इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि यह महज एक मामला नहीं है . ऐसे कई मामले देश के विभिन्न राज्यों में लंबित हैं. निजी स्वतंत्रता और जीने के बुनियादी अधिकार के तहत इन पर शीघ्र विचार करने की जरूरत है.

यूपी सरकार ने इस बाबत कोर्ट में कहा कि हम एक नीति बना रहे हैं. यह अप्रैल तक तैयार हो जाएगी. याचिकाकर्ता के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि नीति तो आती रहेगी इसकी वजह से रिहाई में देरी नहीं होनी चाहिए. कोर्ट पहले इस मामले में रिलीज का आदेश दे. सरकार को अपनी पॉलिसी बनाने में समय लग सकता है. CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शंकर की रिहाई को तय करते हुए एक महीने में अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने का आदेश देते हुए कहा कि हम पहले यूपी को देख रहे हैं. इसके बाद अन्य राज्यो के लिए भी हम विस्तृत आदेश जारी करेंगे.

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करुणा शंकर को 1982 में हुई हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. अदालतों के चक्कर काटने के बाद 15 साल की सजा पूरी होने के बाद उसने रिहाई के लिए क्षमा याचिका लगाई. तब से साढ़े तीन साल हो गए अवधि पूर्व रिहाई की उसकी याचिका उन्नाव जिला मजिस्ट्रेट की अदालत के रिकार्ड रूम में ही पड़ी है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा की गम पहले ही कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश में सिस्टम खराब है. लिहाजा हम सिस्टम के मुद्दे पर तो कुछ कह नहीं रहे. अलबत्ता पुलिस महानिदेशक को निर्देश देते हैं कि इस मामले में वो कार्रवाई कर याचिकाकर्ता की रिहाई सुनिश्चित कराएं और महीने भर में 15 फरवरी तक पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट हमें सौंपें. अगर इस आदेश का परिपालन कर रिपोर्ट नहीं आई तो अदालत डीजीपी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करेगी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील ऋषि मल्होत्रा और जिला विधिक सेवा अधिकरण को इस बाबत निगरानी रखने की जिम्मेदारी सौंपी.

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