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'कोचर दंपति और वीडियोकॉन चीफ ने जांच से बचने के लिए रची साजिश', वेणुगोपाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित

वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक लोन मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत की रिट याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है. धूत ने सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. इस मामले में ICICI की पूर्व सीईओ चंदा कोचर बायकुला जेल से और उनके पति दीपक कोचर आर्थर रोड जेल से 9 जनवरी को रिहा हो गए थे.

बैंक फ्रॉड मामले में वीडियोकॉन के चीफ की याचिका पर हाई कोर्ट ने की सुनवाई (फाइल फोटो) बैंक फ्रॉड मामले में वीडियोकॉन के चीफ की याचिका पर हाई कोर्ट ने की सुनवाई (फाइल फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 13 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वीडियोकॉन के प्रमुख वेणुगोपाल धूत की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है. धूत ने अपनी याचिका में मांग की है कि सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाए और उन्हें रिहा किया जाए. कुछ दिनों पहले हाई कोर्ट ने इसी मामले के दो आरोपियों आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक को इसी आधार पर जेल से रिहा कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं है.

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न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि वे धूत की चिकित्सा स्थितियों में नहीं जा रहे थे, बल्कि पूरी तरह से अवैध गिरफ्तारी के पहलू पर मामले की सुनवाई कर रहे हैं.

Bombay High Court reserved the order on the writ petition filed by Videocon Group Chairman Venugopal Dhoot challenging his arrest by CBI in the Videocon-ICICI Bank loan case. pic.twitter.com/zmAV8qaDh8

 

चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी मिल गई थी जमानत

धूत की ओर से पेश अधिवक्ता संदीप लड्डा ने कहा कि बिजनेसमैंन को ईडी ने कभी गिरफ्तार नहीं किया. लड्डा ने कहा, "ईडी द्वारा उन्हें कम से कम 31 बार बुलाया गया था और उन्होंने हर समय सहयोग किया था इसलिए उन्हें जांच के दौरान कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था और चार्जशीट दाखिल करने के बाद पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी."

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ईडी और सीबीआई जांच की नहीं कर सकते तुलना

सीबीआई के अधिवक्ता राजा ठाकरे ने इस पर जवाब दिया कि ईडी का मामला मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप की जांच तक सीमित है जबकि सीबीआई जांच में साजिश, भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी समेत कई अन्य मामले शामिल हैं. सीबीआई जांच के परिमाण की तुलना ईडी जांच से नहीं की जा सकती है. धूत ने अपनी याचिका में कहा था कि प्राथमिकी 2018 में दर्ज की गई थी और इसलिए अब उनकी गिरफ्तारी की गई है.

अगर 2018 में अरेस्ट करते हो क्या सही होता?

राजा ठाकरे ने कहा, "सवाल यह है कि अगर उन्हें तब गिरफ्तार किया गया होता, तो क्या यह कानूनी होता और अगर यह अब किया जाता है, तो क्या यह अवैध है? ये हाई लेवल मामले हैं. ऐसे असंख्य लेन-देन हैं, जिनसे सीबीआई को गुजरना होता है. यही वजह है कि सीबीआई पूछताछ के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई गई है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आप इस मामले में इतने सालों में क्या कर रहे थे. कोर्ट केस डायरी में देख सकती है कि सीबीआई मामले की किस तरह से जांच कर रही है.

अरेस्ट मेमो में लिखा धूत बदल रहे बयान

वहीं धूत के वकील लड्डा ने कोर्ट को अरेस्ट मेमो दिखाया. इसके तहत धूत को पिछले साल 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था. ग्राउंड एफआईआर में आरोपी का नाम है. इसमें बताया गया है कि आरोपी अपने बयान बदल रहा है. मामले में सही तथ्यों का खुलासा नहीं कर रहा है. ऐसा कोचर के मामले में भी है.

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गिरफ्तार होते ही लगाने लगे आरोप

ठाकरे ने यह कहते बचाव किया कि धूत 22 दिसंबर को सीबीआई के सामने पेश हुए थे, लेकिन जब कोचर को 23 दिसंबर को बुलाया गया, तो वह पेश नहीं हुए. एजेंसी तीनों को एक साथ लाना चाहती थी, लेकिन धूत कथित तौर पर उस दिन ईडी के सामने पेश हुए थे. उन्हें पता था कि तीनों का आमना-सामना कराया जाएगा, इसलिए वह नहीं आए.

ठाकरे ने कहा, "धूत और कोचर द्वारा जांच से बचने के लिए एक व्यवस्थित प्रयास किया गया है. यह साजिश का मामला है, जब वे बाहर थे, तो वह तय करते थे कि क्या सटीक जवाब देना है, लेकिन जब एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो वह एक दूसरे पर आरोप लगाने का फैसला करते हैं. इसके बाद हमें वह बयान मिलता है जो दिया जाना चाहिए था."

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