
वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने जबरन धर्मांतरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. अश्विनी उपाध्याय की ओर से लोगों को डरा-धमकाकर, तरह-तरह के प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराए जाने का उल्लेख करते हुए इसे रोकने के लिए कानून बनाए जाने की मांग की थी.
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की नोटिस का जवाब दाखिल कर दिया. केंद्र सरकार की ओर से जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की बात कही.
केंद्र के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछा कि आपने इसे लेकर अब तक क्या-क्या किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसे लेकर अपनी योजना बताने के लिए कहा और ये भी निर्देश दिए कि सरकार एक विस्तृत हलफनामा दायर करे. इस मामले में अगली सुनवाई अब 5 दिसंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि वे इस मसले की गंभीरता को समझते हैं. हम जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून की जरूरत को समझते हैं. सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि याचिका में जो मांग रखी गई है, उसे गंभीरता से लेते हुए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. केंद्र सरकार ने साथ ही अपने जवाब में ये भी कहा है कि पब्लिक ऑर्डर राज्य सूची का विषय है.
नौ राज्यों में है जबरन धर्मांतरण रोकने का कानून
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को ये जानकारी भी दी गई है कि देश के नौ राज्यों ने जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून भी बनाया है. केंद्र सरकार की ओर से ये बताया गया है कि जिन राज्यों ने इसे लेकर कानून बनाए हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राज्य शामिल हैं.
कानून बनाने की मांग को लेकर है याचिका
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इसे गंभीरता से लेते हुए हम भी जरूरी कदम उठाएंगे. गौरतलब है कि अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की गई थी. अपनी याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कड़े कदम उठाने होंगे.
याचिकाकर्ता ने ये भी कहा था कि देश का एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां जबरन, प्रलोभन देकर धर्मांतरण न कराया जाता हो. जबरन धर्मांतरण की घटनाएं हर हफ्ते हो रही हैं. बता दें कि अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की थी कि धर्म की आजादी है लेकिन जबरन धर्मांतरण की स्वतंत्रता नहीं है. ये जबरन नहीं कराया जा सकता.