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'कम सजा से जाएगा गलत संदेश..', राहुल गांधी को दोषी बताते हुए कोर्ट ने क्या कहा? पढ़ें- फैसले की बड़ी बातें

गुजरात में सूरत की एक कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 में कथित टिप्पणी को लेकर दायर आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई है. राहुल को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया गया है. कोर्ट का कहना था कि सांसदों के बयानों का जनता पर बहुत व्यापक प्रभाव पड़ता है. इससे उनका अपराध और गंभीर हो जाता है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (फाइल फोटो) कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (फाइल फोटो)
सौरभ वक्तानिया/नलिनी शर्मा
  • सूरत,
  • 23 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चार साल पुराने एक बयान के मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने मानहानि का दोषी पाया है और दो साल की सजा सुनाई है. हालांकि, कोर्ट ने राहुल को जमानत दे दी है. लेकिन उनकी लोकसभा की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है. राहुल ने मोदी उपनाम को लेकर टिप्पणी की थी. कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक माहौल भी गरमा गया है. कोर्ट में शिकायकर्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद राहुल गांधी ने विवादित बयान दिया. जानिए कोर्ट ने सजा के वक्त क्या कहा...

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सेशन कोर्ट में शिकायतकर्ता पक्ष ने क्या कहा...

शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट में आरोपी राहुल गांधी ने लिखित माफी मांगी थी और उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि भविष्य में ऐसी बातें दोबारा ना कहीं जाएं. अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि राहुल गांधी सांसद हैं और इस तरह का आचरण अच्छा नहीं है.

'जनता को संबोधित करने का तरीका गलत है...'

इस पर सेशन कोर्ट की तरफ से टिप्पणी की गई. कोर्ट ने कहा- हालांकि आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने सतर्क रहने की सलाह दी थी, लेकिन उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है. आरोपी खुद सांसद (संसद सदस्य) हैं और जनता को संबोधित करने का तरीका गंभीर है. इसका बहुत व्यापक प्रभाव है और अपराध में बहुत गंभीरता है. यदि अभियुक्त को कम दण्ड दिया जाता है तो इससे जनता में गलत संदेश भी जाता है और मानहानि का उद्देश्य प्राप्त नहीं होगा, इसलिए सभी तथ्यों पर विचार करते हुए दोषी को दो साल की सजा सुनाई जाती है.

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2 वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई

कोर्ट ने आगे कहा- मुआवजा और पेनल्टी का आदेश देना न्यायोचित नहीं लगता है, इसलिए न्याय हित में 2 वर्ष साधारण कारावास का आदेश दिया जाता है. कांग्रेस नेता के वकील बाबू मंगुकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी को जमानत दे दी और हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति देने के लिए 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, दो साल या उससे ज्यादा के कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को 'ऐसी सजा की तारीख से' अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और समय अवधि के बाद चुनाव को लेकर छह साल के लिए अयोग्य बना रहता है. 

फैसला के वक्त कोर्ट में मौजूद थे राहुल

फैसला सुनाए जाने के समय राहुल गांधी कोर्ट में मौजूद थे. मामले में अंतिम जिरह पिछले महीने तब शुरू हुई, जब गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल की व्यक्तिगत पेशी की मांग करने वाली शिकायतकर्ता की याचिका पर कार्यवाही पर रोक हटा दी थी. राहुल गांधी इस मामले में आखिरी बार अपना बयान दर्ज कराने के लिए अक्टूबर 2021 में सूरत की अदालत में पेश हुए थे. इससे पहले कांग्रेस सांसद अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों में दोषी नहीं होने की दलील देने के लिए अदालत में पेश हुए थे.

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क्या है पूरा मामला

बता दें कि गुजरात के सूरत की सेशन कोर्ट ने गुरुवार को राहुल गांधी को उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई है. कांग्रेस नेता के वकील ने कहा कि अदालत ने राहुल को जमानत भी दे दी और सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया, ताकि उन्हें हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति मिल सके.

वायनाड से सांसद हैं राहुल

राहुल ने एक बयान में कहा था- सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है? उनके इस कथित बयान के बाद भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने केस दायर किया था. राहुल वायनाड से लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी.

 

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