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महाराष्ट्र मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, शिंदे गुट के वकील बोले- ये दलबदल का मामला नहीं

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में उठापटक जारी है. महाराष्ट्र के सियासी संकट से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट में उद्धव गुट की ओर से जहां प्रदेश की नवगठित सरकार को ही अवैध बता दिया तो वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट के वकील ने साफ कहा है कि ये दलबदल का मामला नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा/कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच सियासी उठापटक जारी है. सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र की सियासी उठापटक से जुड़े मामले पर सुनवाई चल रही है. उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के वकील सुप्रीम कोर्ट में जोरदार तरीके से अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं. उद्धव ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि आप जिस राजनीतिक पार्टी से चुनकर आए हैं, आपको उसकी बात माननी चाहिए.

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कपिल सिब्बल ने कहा कि आप गुवाहाटी में जाकर बैठे हैं और कह रहे कि असली पार्टी हम हैं. कपिल सिब्बल की इस दलील पर CJI ने पूछा कि क्या आपके मुताबिक  बैठक में शामिल न होना पार्टी की सदस्यता छोड़ना है. इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि हां, उन्होंने पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है. उन्होंने एक नया व्हिप और नया नेता नियुक्त कर लिया है. वे गुवाहाटी के होटल में बैठकर पार्टी का नेता नियुक्त कर रहे हैं, ये कौन सा तरीका है?

कपिल सिब्बल ने ये भी दलील दी कि आज जो किया जा रहा है, वह दसवीं अनुसूची की आड़ में प्रावधानों का मनमाना उपयोग कर दलबदल को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. अगर इस मनमानी की अनुमति दी जाती है तो इसका इस्तेमाल किसी भी बहुमत की सरकार को गिराने के लिए किया जा सकता है.

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कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा कि अगर आप अयोग्य हो जाते हैं तो आप चुनाव आयोग के पास भी नहीं जा सकते. आप आयोग में आवेदन भी नहीं कर सकते. इसमें चुनाव आयोग कुछ नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि अगर बागी नेता अयोग्य हो जाते हैं तो सब कुछ अवैध हो जाएगा. सरकार का गठन, एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री बनना और सरकार की ओर से लिए जा रहे फैसले भीअवैध हैं.

कपिल सिब्बल के बाद डिप्टी स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की शुरुआत की. अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मसले को दिलचस्प बताते हुए कोर्ट में कहा कि बागियों के पास दो तिहाई संख्याबल था. इसके बाद उनके सामने बचाव का एकमात्र उपाय किसी दूसरी पार्टी में विलय था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. ऐसे में प्रक्रिया देखें तो उन्हें दल-बदल कानून से सुरक्षा नहीं मिल सकती.

उन्होंने कहा कि शिंदे गुट न केवल अवैध तरीके से महाराष्ट्र में सरकार चला रहा है बल्कि वो खुद को असली शिवसेना बताते हुए चुनाव आयोग तक पहुंच गया है. मामला अभी कोर्ट में लंबित है, ऐसे में शिंदे गुट की याचिका पूरी तरह गलत है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने पूछा कि क्या आप ये कहना चाहते हैं कि अगर 2/3 लोग किसी राजनीतिक दल से अलग होते हैं तो उन्हें नई पार्टी का गठन करना होगा?

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सीजेआई ने ये भी पूछा कि चुनाव आयोग किस तरह से राजनीतिक पार्टी का निर्णय ले सकता है. यदि हम उनको अवैध ठहराते हैं तो मामला फिर से वहीं पहुंच जाएगा. प्रतिवादियों की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि हम दल-बदल विरोधी कानून का उपयोग उस तरह नहीं कर रहे हैं जिस तरह अभिषेक मुन सिंघवी ने कह रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जब तथाकथित पार्टी के मुखिया ने अपने सदस्यों का भरोसा खो दिया है, तो रह ही क्या जाता है. उन्होंने कहा कि ये दलबदल कानून का मामला नहीं है. हरीश साल्वे ने कहा कि अभिषेक मनु सिंघवी, अपने गलत काम को सही ठहराने का एक ही तरीका है कि आप चुनाव आयोग की कार्यवाही को तेजी से ट्रैक करें और कुछ मान्यता प्राप्त कर लें.

राज्यपाल का पक्ष रखते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब मामले में कानून को लेकर सवाल उठेगा तो हम अपना पक्ष रखेंगे. मेहता ने कहा कि इस पूरे मामले में राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. मैं इसे लेकर अपना पक्ष रखूंगा. 

 

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