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कोर्ट से 33 साल ट्रायल के बाद घोषित हुए माइनर, 43 साल बाद बरी... बिहार के बक्सर के एक किसान की कहानी

बिहार के बक्सर जिले के एक किसान को 43 साल पुराने मामले में जुवेनाइल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. घटना के समय 13 साल का होने के बावजूद वयस्क की तरह केस लड़ते रहे किसान को 33 साल तक चले ट्रायल के बाद कोर्ट ने माइनर घोषित किया. ये मामला साल 1979 का है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST

बिहार में साल 1979 के एक आपराधिक मामले में आरोपी 56 साल के किसान को कोर्ट ने 33 साल तक चले ट्रायल के बाद बरी कर दिया है. मामला बिहार के बक्सर जिले का है. जब केस दर्ज हुआ, तब नाबालिग रहे आरोपी मुन्ना सिंह की रिहाई पर परिजनों ने खुशी जताई है. मुन्ना सिंह मुरार थाना क्षेत्र के चौगाई गांव के निवासी हैं.

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बताया जाता है कि मुन्ना सिंह समेत 9 लोगों के खिलाफ 43 साल पहले आईपीसी की धारा 148 और 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था. ये मामला एक दुकानदार के साथ हुई आपराधिक वारदात को लेकर साल 1979 में दर्ज किया गया था. जब ये घटना हुई थी, तब मुन्ना सिंह 13 साल के थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मुन्ना सिंह घटना के समय नाबालिग रहने के बावजूद साल 2012 तक वयस्क की तरह केस लड़ते रहे.

मुन्ना सिंह को 33 साल तक चले ट्रायल के बाद कोर्ट ने नाबालिग माना और मामला जुवेनाइल कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया. इसके करीब 10 साल बाद अब 11 अक्टूबर को जुवेनाइल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मुन्ना सिंह को बरी कर दिया है. बताया जा रहा है कि मुन्ना सिंह के खिलाफ इस मामले में कोई गवाह नहीं था. एपीओ एके पांडेय ने कहा है कि मुन्ना के खिलाफ कोई गवाह नहीं था.

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मुन्ना सिंह के वकील राकेश कुमार मिश्रा के मुताबिक जब घटना हुई थी, तब वे 8वीं क्लास में पढ़ते थे, लेकिन उनको वयस्क की तरह ही ट्रीट किया गया. उन्होंने बताया कि बक्सर एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट में ट्रायल के दौरान एक बार ऐसे ही हमने मुन्ना सिंह से उनकी उम्र पूछ ली. वकील के मुताबिक साल 2012 में मुन्ना सिंह ने अपनी उम्र 46 साल बताई. 33 साल से ट्रायल चल रहा था और उनकी उम्र 46 साल थी यानी घटना के समय वे 13 साल के रहे होंगे. 

मुन्ना सिंह के वकील ने कहा कि इसके बाद हमने कोर्ट में उनको घटना के समय नाबालिग बताते हुए ये मामला जुवेनाइल कोर्ट को ट्रांसफर करने की अपील की और इसमें सफल भी रहे. 1 नवंबर 2012 को मुन्ना सिंह का मामला जुवेनाइल बोर्ड को ट्रांसफर किया गया. कोर्ट से बरी होने के बाद मुन्ना सिंह ने कहा कि इस मामले में उन्हें करीब एक महीने तक जेल में रहना पड़ा था और एक आरोपी का ठप्पा लेकर कोर्ट के चक्कर काटने पड़े.

छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई

मुन्ना सिंह ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि आरोपी का ठप्पा लगने के बाद वे पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाए और इसे छोड़ना पड़ा. उन्होंने भगवान को धन्यवाद देते हुए कहा कि मेरे जीते जी फैसला आ गया. घटना वाले दिन को याद करते हुए मुन्ना सिंह ने कहा कि वे स्कूल से घर आए तो शोरगुल सुनकर मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने ये कहते हुए मुझे भी आरोपी बना दिया कि घटना स्थल पर देखा गया था.

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परिजनों ने जताई खुशी

मुन्ना सिंह की रिहाई से उनके परिजन भी खुश हैं. सेना से वीआरएस लेकर सियासत में आए मुन्ना सिंह के बेटे ऋषिकांत सिंह ने कहा कि हमें अब जाकर राहत मिली है. इस मामले की वजह से पूरा परिवार प्रभाववित था. उन्होंने कहा कि हम सब पर एक तरह का मानसिक बोझ था जो कोर्ट के फैसले के बाद अब उतर गया है.

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