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राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, मोदी सरनेम केस में बड़ा फैसला

मोदी सरनेम मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए उनकी सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि अदालत ने अधिकतम सजा देने के क्या ग्राउंड दिए हैं. कम सजा भी तो दी जा सकती थी.

राहुल गांधी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ SC का किया है रुख (फाइल फोटो) राहुल गांधी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ SC का किया है रुख (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली सजा के निलंबन की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी के विरोध में दलीलें दे रहे शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि अदालत ने अधिकतम सजा देने के क्या ग्राउंड दिए हैं. कम सजा भी तो दी जा सकती थी. उससे संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार भी बरकरार रहता. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सुनाई सजा के फैसले पर रोक लगा दी है. जब तक अपील लंबित रहेगी, तब तक सजा पर रोक बरकरार रहेगी. कोर्ट के इस आदेश के साथ ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है. अब वे संसद सत्र में भी हिस्सा ले सकेंगे. वहीं कोर्ट का फैसला आने के बाद राहुल गांधी अब दोपहर तीन बजे पार्टी मुख्यालय पहुंचेंगे. वहीं कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा- यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है. सत्यमेव जयते - जय हिंद.

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आदेश में नहीं बताया, अधिकतम सजा की जरूरत क्यों

सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणी गुड टेस्ट में नहीं थी. उनका बयान ठीक नहीं था. पब्लिक लाइफ में इस पर सतर्क रहना चहिए. वहीं कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने अपने आदेश में यह साफ नहीं किया कि अधिकतम सजा की जरूरत क्यों थी? जज को अधिकतम सजा की वजह साफ करनी चाहिए थी. ये मामला असंज्ञेय कैटेगरी में आता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों अदालतों ने बड़े पैमाने पर पन्ने लिखे गए, लेकिन राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी, इस पहलू पर विचार नहीं किया गया.

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हाई कोर्ट का आदेश उपदेश जैसा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश का आदेश पढ़ने में बहुत दिलचस्प है. उन्होंने इसमें बहुत उपदेश दिया है. वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैं बता दूं कि कई बार कारण न बताने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आलोचना की जाती है, इसीलिए हाई कोर्ट ने विस्तृत कारण बताता है. ऐसी टिप्पणियां थोड़ी हतोत्साहित करने वाली हो सकती हैं.

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वहीं जस्टिस गवई ने कहा- हम जानते हैं कि टिप्पणियां मनोबल गिराने वाली हो सकती हैं, इसीलिए हम उन्हें लिखने में वक्त लेते हैं, जब तक कि यह बहुत स्पष्ट न हो. वहीं राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एसजी केवल एक प्रोफार्मा पार्टी हैं. इस कोर्ट ने उन्हें समय दिया है.

वहीं जेठमलानी ने कहा कि उनका (राहुल गांधी) तर्क है कि बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था. जस्टिस गवाई ने कहा- हम पूछ रहे हैं कि अधिकतम सजा लगाने का कारण क्या था. अगर उन्हें 1 वर्ष 11 माह का समय दिया होता तो कोई अयोग्यता नहीं होती.

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सूरज को उगने से नहीं रोका जा सकता

- कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि सच्चाई की जीत हुई. कोर्ट से हमें इंसाफ मिला. बीजेपी ने साजिश रची. सूरज को उदित होने से नहीं रोका जा सकता, फिर चाहे कितने ही बादल हों.

- राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से देश की न्यायिक प्रणाली में लोगों की आस्था और बढ़ी है. कोर्ट ने बताया कि उनके लिए सभी लोग बराबर हैं. मुझे उम्मीद है कि अब स्पीकर को जल्द से जल्द राहुल गांधी के सदस्यता को लेकर आदेश जारी करना चाहिए. 

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- केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया- न्याय की जीत हुई है. कोई भी ताकत जनता की आवाज को दबा नहीं सकती.

23 मार्च को कोर्ट ने सुनाई थी दो साल की सजा

सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिया था. इसके साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद राहुल ने गुजरात HC में याचिका लगाकर निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी.

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याचिका खारिज होने पर राहुल ने गुजरात हाईकोर्ट के दोष पर रोक लगाने से इनकार करने वाले फैसले के खिलाफ केस किया है. सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी करार दिया था, साथ ही दो साल की सजा भी सुनाई थी. निचली अदालत ने राहुल को जमानत तो दे दी थी, लेकिन दोषी करार दिए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

दोष सिद्धि पर रोक ना लगने की वजह से राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी. इस मामले में राहुल गांधी से पहले ही शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया था. पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि बिना उनका पक्ष को सुने कोर्ट कोई आदेश पारित ना करे.

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2019 में चुनाव प्रचार के दौरान दिया था बयान

राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ''नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?' राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?

मोहम्मद फैजल की सांसदी हुई थी बहाल

लक्षद्वीप के एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल को जनवरी में अयोग्य घोषित किया गया था, लेकिन उनकी सदस्यता मार्च में तब बहाल की गई जब वे सुप्रीम कोर्ट गए. चुनाव आयोग ने वहां उपचुनाव भी घोषित कर दिया था तो बाद में नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया गया था. फिलहाल वायनाड के लिए चुनाव आयोग ने उपचुनाव घोषित नहीं किया है.

 

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