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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला: रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालाकृष्णन की माफी को दिखावा बताया था. सुप्रीम कोर्ट कल मामले की सुनवाई करेगा. शीर्ष अदालत की फटकार पर पतंजलि ने पिछले नवंबर में आश्वासन दिया था कि वह ऐसे विज्ञापन देने से बचेगी.

फाइल फोटो फाइल फोटो
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है. माफीनामे में रामदेव और बालाकृष्णन दोनों ने कहा है कि वे आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे और न्याय की गरिमा को बरकरार रखेंगे. पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर विस्तृत जवाब दाखिल किया है.

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रामदेव और आचार्य बालकृष्ण बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे. दोनों को कारण बताओ नोटिस के संबंध में अदालत के सामने पेश होने के लिए कहा गया था. दोनों से पूछा गया था कि दिए गए बयानों का पालन नहीं करने के लिए उनके खिलाफ क्यों न अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की जाए?

2 अप्रैल को अदालत ने दोनों को हलफनामा दायर कर स्पष्टीकरण देने का आखिरी मौका दिया था, जिसमें कहा गया था कि पहले दायर की गई माफी अधूरी और महज दिखावा थी. उत्तराखंड राज्य ने भी एक विस्तृत हलफनामा दायर किया है और कहा है कि समय-समय पर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की गई है और सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि निर्धारित कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी. उत्तराखंड राज्य का हलफनामा सुनवाई की पिछली तारीख पर शीर्ष अदालत द्वारा राज्य को मामले में एक पक्ष के रूप में शामिल किये जाने के बाद आया है.

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27 फरवरी को कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडी को अवमानना का नोटिस जारी किया था. मार्च में अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि एमडी के साथ-साथ बाबा रामदेव को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा था.

पतंजलि एमडी ने एक हलफनामा दायर कर कहा कि विवादित विज्ञापनों में केवल सामान्य बयान थे, लेकिन अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य भी शामिल हो गए. इसमें कहा गया कि विज्ञापन प्रामाणिक थे और पतंजलि के मीडिया कर्मियों को कोर्ट के नवंबर के आदेश की जानकारी नहीं थी.

सुप्रीम कोर्ट की पिछली तारीख पर बाबा रामदेव और एमडी बालकृष्ण दोनों व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में मौजूद थे. जबकि बाबा रामदेव का हलफनामा रिकॉर्ड पर नहीं था, अदालत ने एमडी बालकृष्ण के हलफनामे के बारे में अपनी आपत्ति जाहिर की. शीर्ष कोर्ट ने इसे महज दिखावा करार दिया था.

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